scriptUP Speacial मौत से जूझ रहा था प्रतापगढ़ का युवक, इस डॉक्टर ने बिना ऑपरेशन जुगाड़ से निकाला बुलेट | Miracle in medical science doctors pull out bullet without operation | Patrika News
प्रतापगढ़

UP Speacial मौत से जूझ रहा था प्रतापगढ़ का युवक, इस डॉक्टर ने बिना ऑपरेशन जुगाड़ से निकाला बुलेट

देश का पहला ऐसा मामला जिसमें डॉक्टर्स ने बिना चेहरे पर एक चीरा लगाये गोली बाहर निकाली

प्रतापगढ़Dec 18, 2017 / 02:47 pm

धीरेन्द्र विक्रमादित्य

jj hospital
चिकित्सा विज्ञान की किताबों में जिन सवालों का हल नहीं मिलता कभी कभी सामान्य जुगाड़ से रास्ता मिल जाता है। ऐसा ही एक चिकित्सीय चमत्कार मुंबई के चिकित्सकों ने गोरखपुर के एक युवक की जान बचाकर की है। चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में अनूठा काम करते हुए डॉक्टर्स ने गोली से घायल युवक की जान तो बचाई ही आंख में फंसी गोली को भी निकालने में सफलता पाई, वह भी चेहरे पर बिना एक चीरा के। यह तब किया जब देश व विदेश के अधिकतर चिकित्सा विज्ञानियों ने अपने हाथ खड़े कर लिए थे। अब युवक तेजी से रिकवर कर रहा। फ़िलहाल युवक के उस आंख की रोशनी जा चुकी है लेकिन डॉक्टर्स का यह भी मानना है कि उस आंख से युवक पुनः देख सके यह उम्मीद छोड़ी नहीं जा सकती।
यूपी के पूर्वान्चल क्षेत्र के रहने वाले 23 साल के तनवीर अहमद को बदमाशों ने लूट के बाद उनको गोली मार दी थी।
प्रतापगढ़ के कुंडा तहसील क्षेत्र के सावालगढ़ देवरा निवासी तनवीर व्यवसायी हैं। वह 6 दिसंबर को वसूली कर वापस लौट रहे थे कि बदमाशों ने इस वारदात को अंजाम दिया। तनवीर के सिर पर निशाना कर गोली मारी गई थी। वह बच तो गए गोली उनके बाईं आंख को जख्मी करते हुए चेहरे में ही फंस गई। तनवीर की इस हालत को देखते हुए गोली निकालने से अधिकतर डॉक्टर्स ने साफ मना कर दिया। आंख के पास सर्जरी कर बुलेट को निकालना बहुत ही रिस्क का काम था। उत्तर प्रदेश के अधिकतर बड़े अस्पतालों ने साफ़ तौर पर मना कर दिया। तनवीर की हालत खराब होते जा रही थी।
परिजन उनको मुंबई के जेजे अस्पताल में लेकर गये। उनके आंख से खून का रिसाव लगातार हो रहा था। तत्काल ऑपरेशन भी मुश्किल था। लेकिन बुलेट के रसायन से आंखों सहित अन्य हिस्से में इन्फेक्शन का भी खतरा बढ़ रहा था। हॉस्पिटल के डॉक्टर बताते हैं कि इसको देखते हुए एंडोस्कोपी की मदद से ओपन सर्जरी का फैसला लिया गया। कुछ ही देर में डॉक्टर्स की टीम ने रिस्क लेकर ऑपरेशन शुरू किया। बिना किसी चीरा के एंडोस्कोपी की मदद से नाक की तरफ से गोली कुछ ही देर में निकाल ली गई।
अस्पताल के आंख-कान-गला विभाग के अध्यक्ष डॉ.श्रीनिवास चव्हाण बताते हैं कि एक्सरे से बुलेट के सही जगह का अंदाजा लग गया। इसके बाद उस तीन सेमी बुलेट को निकाला जा सका। एंडोस्कोपी मशीन में एक ऑपरेशन का इंस्ट्रूमेंट जोड़कर नाक के तरफ से घुसाया गया और इसी रास्ते बुलेट को बाहर निकाल दिया गया। डॉक्टर बताते हैं कि इस तरह की तकनीक का उपयोग कई बार गाल ब्लैडर की पथरी या छोटे ट्यूमर आदि को निकालने में इस्तेमाल किया जाता है।
डॉ.श्रीनिवास कहते हैं कि तनवीर की बाएं आंख की रोशनी आएगी या नहीं इस बारे में अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगी। लेकिन अभी इस ऑपरेशन के बाद वह तेजी से सेहतमंद हो रहे और जान का खतरा टल चुका है। वह यह भी कहते कि इस तरह के केस में फिर इसी विधि से वह लोग बुलेट आदि निकालने में सफल होंगे यह भी निश्चित तौर पर दावा नहीं किया जा सकता।
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