बतादें पार्टी के गठन के बाद से ही इस बात की चर्चा थी की राष्ट्रीय अध्यक्ष रघुराज प्रताप सिंह राजाभैया प्रतापगढ़ या आसपास जिले की किसी सीट से चुनाव मैदान में उतर सकते हैं। इसके लिए काफी दिनों से क्षेत्र में तैयारियां भी की जा रही थी। सामूहिक विवाह समारोह से लेकर निजी कार्यक्रमों में राजा की मौजूदगी इस बात पर जोर देती रहती कि वो उम्मीदवार जरूर बनेंगे पर शनिवार को पार्टी महासचिव के बयान ने कयासों का खंडन कर दिया।
कांग्रेस ने रत्ना सिंह को उतारा है मैदान में बतादें कि अभी दो दिन पहले ही कांग्रेस ने इस सीट से रानी रत्ना सिंह को मैदान में उतारा है। वहीं भाजपा ने अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं। सूत्रों की मानें तो संकेत लगातार ये भी मिल रहे हैं कि भाजपा और जनसत्ता दल का गठबंधन भी हो रहा है और प्रतापगढ़ लोकसभा सीट राजा भैया की पार्टी के खाते में दिए जाने की बात भी चल रही है। पर अगर ऐसा हुआ भी तो राजा चुनाव मैदान में नहीं होंगे।
पार्टी की मजबूती के लिए प्रतापगढ़ अहम राजनीतिक जानकारों की मानें तो भले ही राजा भैया के चुनाव न लड़ने का ऐलान पार्टी की तरफ से कर दिया गया हो लेकिन प्रतापगढ़ लोकसभा सीट जनसत्ता दल के लिए काफी अहम होगा। क्यूंकि ये राजा का अपना जिला है और वो लगातार यहां की राजनीति में सक्रिय रहे हैं। आने वाले दिनों में उम्मीदवार कौन होगा ये तो इंतजार करने की बात है लेकिन पार्टी के लिए किसी मजबूत उम्मीदवार को मैदान में उतार कर उसे विजय दिलाना अहम होगा।