प्रियंका गांधी की सक्रिय राजनीतिक में एंट्री के बाद पार्टी में लगातार विपक्षी पार्टियों के शामिल होने का सिलसिला तेजी से चल रहा है। कांग्रेस विपक्षी पार्टियों से नाराज नेताओं को अपने खेमे में शामिल करने से गुरेज नहीं कर रही है। कांग्रेस में सपा और बसपा के नेता भी शामिल हो रहे हैं। कांग्रेस को पता है कि लगातार पांच सालों से पार्टी का साथ छोड़ रहे नेताओं के इस दौर में उसे मजबूती के लिए नेताओं की बड़ी जमात चाहिए ताकि संगठन कमजोर न रहे। ऐसे में दूसरे दलों के नेताओं को लाकर कांग्रेस अपने कुनबे को बढ़ाने में जुटी है।
सपा के साथ ही भाजपा के लिए भी झटका है कांग्रेस का दाव लगातार पटेल नेताओं को कांग्रेस के खेमे से जुड़ना सपा के लिए ही नहीं बल्कि भाजपा के लिए भी किसी झटके से कम नहीं है। जहां पटेल मतदाताओं को साधने के लिए सपा ने नरेश उत्तमन पटेल को प्रदेश अध्यक्ष का पद दिया है तो वहीं अपना दल एस से गठबंधन कर भाजपा भी इस वोट बैंक को अपने पास ही रखना चाहती है। लेकिन पहले अपना दल कृष्णा पटेल गुट के साथ कांग्रेस ने गठबंधन किया। फिर पूर्व सांसद बालकुमार पटेल को पार्टी में शामिल कराया और अब राम सिंह पटेल को साथ लाकर कांग्रेस सपा के साथ भाजपा को भी कमजोर करने में जुटी है।