उसे 100 साल पहले की सही जानकारी कोई देने वाला भी नहीं था। ऐसे में उसे अपने मुल गांव तलाशने में दस साल लग गये। दस साल की कड़ी मेहनत के बाद आखिरकार डाक्टर साहब सोमवार को अपमने गांव आये। अपने पुरखों के गांव पहुंचकर खुशी से झूम उठे। परिवार के लोगों से मिले, गांव देखा और खेत-खलिहान भी घूमा। खुशियां बयां की तो दर्द भी साझा किया। कहा कि मैं अपनी माटी को नमन करने के लिए सालों से बेचैन था। डाक्टर के इस प्यार को देखकर इलाके के हर व्यक्ति के दिल में देशभक्ति का एक नया रंग भर गया है।
बतादें कि जिले के थाना बाघराय के मौहरिया गांव के बादल यादव करीब सौ साल पहले दक्षिण अफ्रिका चले गए थे। उनके बेटे सूरजपाल ने भी अपनी पूरी जिंदगी वहीं मजदूरी करते हुए काट दी। परिवार का बस एक सपना था कि अपना वतन छोड़कर आये हैं मेरी पीढ़ी में कोई ऐसा निकल जाता कि वो हमारा नाम रोशन कर देता। ऐसे में सूरजपाल ने अपने बेटे भगवान सिंह यादव को बेहतर शिक्षा दी। इसका नतीजा यह रहा कि वह मेडिकल कालेज में सर्जन बन गए। खूब कमाये और लोगों की जमकर सेवा भी की।
लेकिन भगवान सिंह यादव के मन में भारत माता और अपने पुरखों के गांव में लौटने का सपना चल रहा था। इसे पूरा करने के लिए डाक्टर भगवान सिंह ने भारत सरकार से मदद लिया। कई बार सरकार को पत्र लिखा। लेकिन वो कहां के रहने वाले हैं उनका किस जिले किस गांव से नाता है ये सरकार ने कभी भी नहीं बताया। भारत सरकार से मदद मांगते-मांगते दस साल बीत गये। लेकिन कुछ नहीं हुआ। डाक्टर भगवान सिंह निराश होने लगे।
कैसे मिली सफलता इसी बीच भगवान सिंह की किस्मत खुल गई। घर के ही बहुत पुराने रखे कागजातों में एक पुराना कागजात मिला। जिसमें उनके भारत में मूल निवास का सारा पता लिखा था। बिना देरी किये उन्होने उसे पते को खंगाला तो जानकारी पुष्ट हो गई कि वो प्रतापगढ़ जिले के ही एक गांव के रहने वाले हैं। जहां से सौ साल पहले उनका परिवार दक्षिण अफ्रीका चला गया था। फिर क्या था। डाक्टर साहब को मानों दुनियां कि सबसे बड़ी खुशी मिल गई हो।
सोमवार को डाक्टर भगवान सिंह यादव अपने गांव मौहरिया थानपुर पहुंच गये। परिवार और गांव के लोगों ने उन्हे फूल मालाओं से लाद दिया। उन्होंने अपने पुरखों की याद ताजा की। इसके बाद वह गांव के लोंगों के साथ गांव व खेतों में घूमे। इस दौरान उन्होंने बताया कि गांव पहुंचकर उन्हें बहुत अच्छा लग रहा है। अगली बार वह अपने परिवार के साथ गांव आएंगे। आंखों में खुशियों के आंसू भरे भगवान सिंह यादव फिर से दक्षिण अफ्रीका रवाना हो गये।