प्रयागराज

जमानत के नाम में मिडिल नेम गायब होने पर आठ माह तक रखा गया जेल में, हाईकोर्ट ने जारी किया सख्त निर्देश

इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad Highcourt) ने नाम से मिडिल नेम ‘कुमार’ गायब होने पर आठ माह तक जेल में रखे गए विनोद बरुआर नामक व्यक्ति मामले में जेल अधीक्षक पर सख्ती दिखाई है। कोर्ट ने जेल प्रशासन के रवैये को अड़ियल बताते हुए उसके फैसले को खारिज कर दिया है।

प्रयागराजDec 21, 2020 / 05:05 pm

Karishma Lalwani

जमानत के नाम में मिडिल नेम गायब होने पर आठ माह तक रखा गया जेल में, हाईकोर्ट ने जारी किया सख्त निर्देश

प्रयागराज. इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad Highcourt) ने नाम से मिडिल नेम ‘कुमार’ गायब होने पर आठ माह तक जेल में रखे गए विनोद बरुआर नामक व्यक्ति मामले में जेल अधीक्षक पर सख्ती दिखाई है। कोर्ट ने जेल प्रशासन के रवैये को अड़ियल बताते हुए उसके फैसले को खारिज कर दिया है। दऱअसल, विनोद बरुआर नामक व्यक्ति को अप्रैल, 2020 से लेकर अब तक जेल में रखा गया क्योंकि उनके नाम से मिडिल नेम कुमार गायब था। मामला कोर्ट तक पहुंचने पर न्यायमूर्ति जे. जे. मुनीर की पीठ ने जेल अधीक्षक/जेलर को अदालत में पेश होने का निर्देश दिया। आवेदक के वकील ने कोर्ट में कहा कि नौ अप्रैल को हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद, जिसमे उसे जमानत दे दी गई थी, आवेदक को जेल से रिहा नहीं किया गया। जेल अधिकारियों ने मामले में पारित रिहाई के आदेश का पालन करने से इसलिए इनकार कर दिया क्योंकि रिहाई के आदेश में उल्लिखित नाम “विनोद बरुआर” था, जबकि रिमांड शीट में उसका नाम “विनोद कुमार बरुआर” है। इस आधार पर, जेल अधीक्षक/जेलर ने आवेदक को रिहा करने से इनकार करके उच्च न्यायालय के जमानत आदेश को एक प्रकार से रद्द कर दिया।
अड़ियल है जेल प्रशासन का रवैया
कोर्ट ने जेल प्रशासन के रवैये को अड़ियल बताते हुए कहा, ”आठ महीनों के दौरान जमानत के आदेशों का पालन नहीं करने का एकमात्र कारण न्यायालय के आदेशों को पूरा करने में जेल प्रशासन का अड़ियल रवैया है। इस प्रक्रिया में, उसने एक नागरिक को उसकी स्वतंत्रता से, बिना किसी उचित या वाजिब कारण के, अप्रैल, 2020 से आज तक वंचित किया है।” कोर्ट ने विनोद बरुआर को इसी नाम के साथ पारित होने वाले एक रिहाई के आदेश (बलात्कार और पॉक्सो अधिनियम मामले) के साथ रिहा करने का आदेश दिया।
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