प्रयागराज

हाईकोर्ट ने योगी सरकार को दिया बड़ा झटका  ,लखनऊ में लगाए गए पोस्टरों को तत्काल हटाने के आदेश

अदालत ने आर्टिकल 21 निजता के अधिकार का उल्लंघन बताया
 

प्रयागराजMar 09, 2020 / 02:59 pm

प्रसून पांडे

हाईकोर्ट ने योगी सरकार को दिया बड़ा झटका  ,लखनऊ में लगाए गए पोस्टरों को तत्काल हटाने के आदेश

प्रयागराज | इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लखनऊ में नागरिकता संशोधन कानून यानि सीएए के विरोध में हुई हिंसा के आरोपियों के पोस्टर लगाये जाने के मामले में सख्त निर्देश दिया है।कोर्ट ने लखनऊ के डीएम और कमिश्नर को को अविलंब पोस्टर और बैनर फोटो हटाने का आदेश दिया है । कोर्ट ने 16 मार्च को अनुपालन रिपोर्ट के साथ हलफ़नामा दाखिल करने का निर्देश दिया है।चीफ जस्टिस गोविन्द माथुर तथा न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा ने की बेंच ने यह आदेश दिया है।कोर्ट ने कहा है कि बिना कानूनी उपबंध के नुकसान वसूली के लिए पोस्टर मे फोटो लगाना अवैध है। अदालत ने ने पोस्टर लगाये जाने को आर्टिकल 21 निजता के अधिकार का उल्लंघन बताया है ।


बता दें की रविवार को चीफ जस्टिस की कोर्ट में बहस सुनने के बाद कोर्ट ने जजमेंट रिजर्व कर लिया गया था। अदालत ने अपने समय दोपहर दो बजे ओपेन कोर्ट में अपना फैसला सुनाया। राविवार को कोर्ट के निर्देश पर अदालत में पहुंचे महाधिवक्ता राघवेन्द्र प्रताप सिंह ने सीएए के विरोध में हिंसा करने वाले लोगों के पोस्टर लगाये जाने और उन्हें वसूली नोटिस जारी किए जाने पर राज्य सरकार का अदालत में पक्ष रखा था। गौरतलब है कि लखनऊ शहर में कई जगहों पर हिंसा और तोड़फोड़ के आरोपियों के पोस्टर लगाये जाने का इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सुओ मोटो लेते हुए लखनऊ के डीएम अभिषेक प्रकाश और पुलिस कमिश्नर सुजीत पाण्डेय को तलब कर लिया था।


रविवार को छुट्टी के बावजूद चीफ जस्टिस गोविन्द माथुर की अध्यक्षता वाली डिवीजन बेंच में मामले की सुबह दस बजे सुनवाई भी शुरु हुई, लेकिन यूपी के महाधिवक्ता राघवेन्द्र प्रताप सिंह के प्रयागराज न पहुंच पाने के चलते अपर महाधिवक्ता नीरज त्रिपाठी ने कोर्ट से सरकार का पक्ष रखने के लिए समय मांगा। जिसे स्वीकार करते हुए कोर्ट ने तीन बजे तक के लिए मामले की सुनवाई टाल दी थी। दोपहर तीन बजे दोबारा मामले की सुनवाई शुरु हुई। जिसके बाद रजिस्ट्रार जनरल ने सरकारी वकीलों के अलावा प्राइवेट काउंसिल के अदालत में मौजूद न रहने का आदेश दिया था।


रविवार को सरकारी वकीलों की मौजूदगी में चीफ जस्टिस कोर्ट में लगभग एक घंटे तक मामले में बहस चली। जिसमें कोर्ट के सवालों का महाधिवक्ता ने जवाब दिया। महाधिवक्ता ने याचिका को पोषणीय न बताते हुए खारिज करने की भी अदालत से मांग की। लेकिन शुरुआत ही मामले को लेकर सख्त कोर्ट ने सुनवाई पूरी होने के बाद अपना जजमेंट कर लिया था।कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा था कि सड़कों पर किसी भी नागरिक का पोस्टर लगाया जाना नागरिकों के सम्मान, निजता और उनकी स्वतंत्रता के खिलाफ है। हाईकोर्ट ने कहा था कि पब्लिक प्लेस पर सम्बंधित व्यक्ति की अनुमति बिना उसका फोटो या पोस्टर लगाना गैरकानूनी है। यह राइट टू प्राइवेसी का भी उल्लंघन है।

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