प्रयागराज

शराब के अस्थायी लाइसेंस देने पर हाईकोर्ट की तल्ख टिप्पणी, पूछा- क्या नशे का कारोबार करना चाहती है यूपी सरकार

कोर्ट ने नशे के लाइसेंस पर 21 दिसम्बर तक राज्य सरकार से जवाब मांगा है।

प्रयागराजDec 10, 2018 / 10:51 pm

Akhilesh Tripathi

शराब का अस्थायी लाइसेंस

प्रयागराज. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शादी व अन्य समारोहों में आयोजकों को कुछ घण्टे के लिये समारोह में शराब पिलाने का अस्थायी लाइसेंस देने की नीति पर तीखा कटाक्ष किया है। कोर्ट ने कहा सरकार को राजस्व वसूली की चिंता है, युवा पीढ़ी बर्बाद हो जाय इसकी कत्तई परवाह नहीं है। नशे की लत से युवा पीढ़ी बर्बाद हो रही है। शराब, ड्रग्स, हुक्काबार पर नियंत्रण होना चाहिए। कोर्ट ने पूछा क्या सरकार नशे का कारोबार करना चाहती है। कोर्ट ने नशे के लाइसेंस पर 21 दिसम्बर तक राज्य सरकार से जवाब मांगा है।
यह आदेश मुख्य न्यायाधीश गोविन्द माथुर तथा न्यायमूर्ति वाई.के. श्रीवास्तव की खंडपीठ ने कानपूर नगर के पैरेंट गार्जियन एसोसिएशन व दो अन्य की याचिका पर दिया है। याची अधिवक्ता रमेश उपाध्याय का कहना है कि सरकार की इस नीति के चलते युवाओ सहित बच्चो पर बुरा असर पड़ रहा है। शादी समारोहों में परिवार शामिल होता है और समारोह में नशे की अनुमति देने से बच्चों पर नशे के प्रति जिज्ञासा बढ़ेगी।
आबकारी विभाग ऐसे समारोहों में शराब, हुक्काबार आदि नशे के इस्तेमाल की अनुमति दे कर नशे के कारोबार से राजस्व वसूली में लगा है। जबकि राज्य सरकार के अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ता रामानन्द पांडेय का कहना था कि केवल शराब की अस्थायी अनुमति दी जाती है। वह भी आयोजक के मांगे जाने पर ही दिया जाता है। यह लाइसेंस साढ़े सात बजे से साढ़े 10 बजे तक ही दिया जाता है। अन्य नशे अफीम, चरस, गांजा आदि की अनुमति नहीं दी जाती। इस पर कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी की कि क्या सरकार नशे का कारोबार कर राजस्व वसूलना चाहती है।
 

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