यूपी के पूर्व सांसद का बेटा पैंगोलिन की तस्करी में गिरफ्तार जैव वैज्ञानिकों के अनुसार दुनिया में पैंगोलिन की करीब आठ आठ प्रजातियां अब तक मिली हैं। इसमें से चार एशिया में पाई जाती हैं। करीब इतनी ही प्रजातियां अफ्रीकी देशों में भी पाई जाती हैं। pangolin फोलिडोटा गण का स्तनधारी प्राणी है, जिसके शरीर पर केराटिन के बनी शल्क (स्केल) जैसी संरचना होती है। इसकी मदद से वह खतरे के समय अपनी हिफाजत करता है। पैंगोलिन ऐसे शल्कों वाला अकेला ज्ञात स्तनधारी है।
सल्लू सांप के नाम से पहचान चींटीखोर इस जंतु का सिर तिकोना होता है। मटमैले दिखने वाले पैंगोलिन की त्वचा सख्त होती है और मजबूत शल्कों से घिरी रहती है। यह अपनी चिपचिपी लंबी जीभ से शिकार करता है। भारत में इसे सल्लू सांप के नाम से भी जाना जाता है। इसके मांस के अलावा इसके शल्क, हडडी, त्वचा आदि की भी तस्करी होती है और इनकी अच्छी कीमत मिलती है।
चीन में बनती हैं उत्तेजक दवाइयां आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक दुनिया में अब करीब 27 लाख पैंगोलिन ही रह गए हैं। भारतीय उपमहाद्वीप की बात करें तो पैंगोलिन भारत, नेपाल, श्रीलंका और भूटान के जंगली पहाड़ी और रेगिस्तानी इलाकों में मिलती है। चीन में बड़े पैमाने पर इसके मांस से पौरुष शक्ति दवाएं बनाई जाती हैं। भारत में भी इसका मांस शक्तिवर्धक के तौर पर खाने की बात सामने आती है।