
प्रयागराज के इस दफ्तर में इंदिरा गांधी से हुई थी फिरोज की पहली मुलाकात, अब वहां लटक सकता है ताला, जानिए वजह
प्रयागराज: कांग्रेस पार्टी जिस तरह से संगठनात्मक रूप से कमजोर होती जा रही है, उससे कहीं ज्यादा अधिक आर्थिक कमी से भी जूझना पड़ रहा है। प्रयागराज कांग्रेस पार्टी की सबसे पुराने कार्यालय में ताला लटकने की संभावना तेज हो गई है। जिसकी मुख्य वजह यह है कि 31 साल से पार्टी शहर कांग्रेस के ऐतिहासिक कार्यालय का किराया चुकता नहीं कर सकी है। इस कार्यालय का लगभग 6.12 लाख रुपए का किराया बकाया है। पार्टी कार्यकर्ताओं ने आपस में चंदा एकत्रित करने के बावजूद अब तक रकम पूरी नहीं हो सकी है। किराया जमा करने के लिए कोर्ट ने पार्टी को 15 जुलाई तक का समय दिया गया है। इसी दफ्तर में पहली बार पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की फिरोज गांधी से मुलाकात हुईं थी।
कार्यालय की कट चूंकि है बिजली
शहर कांग्रेस पार्टी कार्यालय का बकाया राशि अदा न करने पर हाल में ही बिजली भी काटी जा चुकी है। सोमवार को किराया चुकाने के लिए दफ्तर में चंदा किया गया। कांग्रेस पार्टी के प्रदेश महासचिव मुकुंद तिवारी ने गंभीर चिंता जताई। उन्होंने ने कहा कि इस ऐतिहासिक दफ्तर को हर हाल में हाथ से जाने नहीं दिया जाएगा। जिसको लेकर राज्यसभा सदस्य प्रमोद तिवारी ने 50 हजार रुपये का चेक दिया तो कई नेताओं ने सौ-50 रुपये भी चंदे के रूप में जमा किए। इससे पहले प्रदेश कांग्रेस कमेटी की ओर से दो लाख रुपये दिए गए जा चुके हैं। इसे मिलाकर अब तक 2.60 लाख रुपये का संग्रह किया जा चुका है।
31 साल पुराना है इतिहास
प्रदेश महासचिव मुकुंद तिवारी ने कहा कि कार्यालय को लेकर पार्टी इसलिए भी संजीदा है, क्योंकि इसमें कभी दिग्गजों की अध्यक्षता में बैठकें हुआ करती थीं। इसी दफ्तर से कांग्रेस कमेटी ने कई बड़े फैसले लिए थे। इलाहाबाद शहर कांग्रेस कमेटी की पहली अध्यक्ष कमला नेहरू थीं। इनके बाद पं. जवाहर लाल नेहरू, पुरुषोत्तम दास टंडन, विश्वंभर नाथ पांडेय, मुजफ्फर हसन, इंदिरा गांधी भी इस शहर कांग्रेस कमेटी की अध्यक्ष रह चुकी हैं। शहर के सबसे भीड़भाड़ और व्यस्त इलाके में सन 1932 से यह कार्यालय यहीं है स्थित है।
इस दफ्तर में इंदिरा से हुई थी फिरोज की पहली मुलाकात
पुराने कांग्रेसी नेता अभय बाबा अवस्थी ने कहा कि पार्टी कार्यालय का इतिहास बहुत पुराना है। इसी पार्टी कार्यालय में देश के तीन प्रधानमंत्रियों पं. जवाहर लाल नेहरू, लाल बहादुर शास्त्री और इंदिरा गांधी ने इस कार्यालय में हुई महत्वपूर्ण बैठकों में भाग लिया था। आजादी के पहले इस कार्यालय में कई अहम निर्णय भी लिए गए थे। इसके अलावा इस दफ्तर से ही फिरोज गांधी की इंदिरा गांधी से मुलाकात पहली बार हुई थी। इस कार्यालय से ही उनके प्रेम प्रसंगों के किस्से दुनिया भर चर्चित हुए। देश के दो प्रधानमंत्री के अध्यक्ष बनने की कहानी को बताने वाले इस कार्यालय का किराया चुकता करने के लिए चंदा किया जा रहा है।
कांग्रेस पार्टी के महासचिव ने मुकुंद तिवारी ने कहा कि किराया जल्द ही चुकता करा लिया जाएगा। इसके लिए पार्टी गंभीर है। इस ऐतिहासिक कार्यालय की गरिमा को किसी भी दशा में धूमिल नहीं होने दिया जाएगा।
Published on:
04 Jul 2022 12:17 pm
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