प्रयागराज

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 19 जून तक खाली पदों को भरने का दिया निर्देश, बोर्ड को मिला अध्यापक भर्ती का अधिकार

कोर्ट ने कहा है कि राज्य सरकार ऐसे अध्यापकों का मूल्यांकन करें और देखे कि क्या वे छात्रों को गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा देने के काबिल है या नहीं

प्रयागराजJan 20, 2019 / 11:07 pm

Akhilesh Tripathi

इलाहाबाद हाईकोर्ट

प्रयागराज. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि प्रदेश के जूनियर हाई स्कूल से उच्चीकृत हुए राजकीय वित्तीय सहायता प्राप्त सभी कॉलेजो में अध्यापक भर्ती का अधिकार माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड को होगा। अभी तक प्रबंध समिति अध्यापकों की नियुक्ति करती थी, कोर्ट ने इस व्यवस्था को बदल दिया है।

कोर्ट ने प्रदेश के सभी जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिया है कि धारा 7ए (ए)के तहत उच्चीकृत हुए मान्यता प्राप्त एडेड सभी जूनियर हाई स्कूलों का ब्योरा जिला विद्यालय निरीक्षक को दे। अध्यापकों के कितने पद स्वीकृत है, कितने सरकार से वेतन प्राप्त कर रहे हैं और अध्यापकों के कितने पद खाली हैं , यह जानकारी 15 फरवरी तक दे दी जाये।

कोर्ट ने कहा है कि जानकारी मिलते ही सभी जिला विद्यालय निरीक्षक तीन हफ्ते के भीतर अध्यापकों के खाली पदों को भरने की संस्तुति माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड को भेजे और बोर्ड सभी खाली पदों को 15जून 2019 तक भरे। ताकि एक जुलाई 19 से सभी कॉलेजों को अध्यापक मिल सकें। अंतरिम व्यवस्था करते हुए कोर्ट ने कहा है कि जब तक नियमित भर्ती नहीं हो जाती, इस दौरान कॉलेजों में जिला विद्यालय निरीक्षक 26 अक्टूबर 2017 के शासनादेश के तहत सेवा निवृत्त अध्यापकों को नियुक्ति करें ताकि छात्रों की पढ़ाई का नुकसान न होने पाए।

कोर्ट ने यह भी साफ कर दिया है कि प्रबंधन द्वारा रखे गए अंश कालिक अध्यापकों को अनिश्चित काल तक सेवा में बने रहने का अधिकार नहीं होगा ।तीन दशकों से कम वेतन पर अंश कालिक अध्यापक पढ़ा रहे हैं। ऐसे अध्यापकों की राहत देते हुए कोर्ट ने कहा है कि राज्य सरकार ऐसे अध्यापकों का मूल्यांकन करें और देखे कि क्या वे छात्रों को गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा देने के काबिल है या नहीं और योग्य अध्यापको को नियमानुसार नियुक्ति दी जाये।
कोर्ट ने कहा कि अभी तक एक शिक्षण संस्थान में दो तरह के अध्यापकों को दो तरह के वेतन देने के नियम लागू है सरकार सभी को समान वेतन देने के नियम पर विचार करे ।
यह आदेश न्यायमूर्ति अश्विनी कुमार मिश्र ने राणा विजेन्द्र प्रताप सिंह की याचिका को खारिज एवं मुकेश कुमार व दर्जनों अन्य लोगों की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है । राणा अपना अधिकार साबित करने में विफल रहे।कोर्ट ने कहा है कि उच्चीकृत विद्यालयों के अध्यापको को वेतन भुगतान अधिनियम के अधीन लाया जाय।और अधिनियम के तहत वेतन भुगतान किया जाय।

कोर्ट ने कहा कि उच्चीकृत होने के बाद शिक्षण संस्थान पर इंटरमीडिएट एक्ट ही लागू होगा और उसे माध्यमिक शिक्षा विभाग ही नियंत्रित करेगा । वेतन भुगतान करने के लिए बी एस ए की जिम्मेदारी कुछ समय के लिए ही होगी । जब तक बेसिक व माध्यमिक शिक्षा विभाग अलग नहीं कर दिये जाते,यह व्यवस्था जारी रहेगी। सरकार इस सम्बन्ध में कदम उठाये। कोर्ट ने कहा है कि बेसिक व् माध्यमिक दोनों को राज्य सरकार ही वेतन देती है। उस पर अलग से कोई वित्तीय भार नहीं पड़ेगा ।
 

कोर्ट ने आदेश की प्रति मुख्य सचिव उत्तर प्रदेश व अपर मुख्य सचिव माध्यमिक व बेसिक शिक्षा विभाग को अनुपालनार्थ भेजे जाने का भी आदेश दिया है । याचिका पर वरिष्ठ अधिवक्ता आर के ओझा प्रभाकर अवस्थी व अमित सक्सेना ने बहस की।कोर्ट ने कहा है कि उच्चीकृत विद्यालयों में कार्यरत सी टी ग्रेड अध्यापक उसी कैडर में रहते हुए दश साल की सेवा के बाद एल टी ग्रेड के लाभ प्राप्त कर सकेंगे । सेवानिवृत्त होने के बाद यह पद एल टी ग्रेड का हो जायेगा।
BY- Court Corrospondence

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