गंगा मां का विधिवत किया गया पूजा अर्चना श्रीमठ बाघम्बरी गद्दी के पीठाधीश्वर श्रीमहंत बलवीर गिरि ने मंत्रोच्चार के बीच पुष्प अर्पित करके पंचामृत से गंगा जी का अभिषेक किया। हनुमान जी की आरती उतारकर जनकल्याण की कामना की। इसके बाद हनुमान जी की मूर्ति को सफेद वस्त्र से ढंक दिया। पूजन के लिए हनुमान जी के विग्रह को मंदिर के ऊपरी हिस्सा में रखा गया। बलवीर गिरि ने कहा कि हनुमान जी का स्नान करना अत्यंत शुभ है। राष्ट्र की उन्नति होगी, जनता खुशहाल रहेगी। बोले अगर हनुमान जी स्नान न करते तो अनिष्ट होने की संभावना थी।
जानें क्या है पुरानी मान्यता यह भी कहा जाता है कि जब लंका विजय करने के बाद हनुमानजी को थकान लगी तो प्रयाग की धरती संगम किनारे विश्राम के लिए लेटे थे, तब से लेकर आज तक मां गंगा हनुमानजी को साल में एक बार स्नान कराती हैं। जिस वर्ष यह नहीं होता है उस वर्ष को अमंगल माना जाता है। गंगा मईया के इस विकराल रूप को देखने के लिए भक्तों को बेसब्री से इंतजार रहता है। गुरुवार शाम गंगा मईया लेटे हनुमानजी का दर्शन करने के लिए हनुमान मंदिर द्वार पर पहुंच गई और देर रात तक हनुमानजी का जलाभिषेक हो गया। मंदिर पूरी तरह पानी में लबालब हो गया है।
हनुमानजी का अभिषेक होने पर होता है शुभ संगमनगरी प्रयागराज में गंगा-यमुना जलस्तर बढ़ने के लिए भक्त सच्चे मन से कामना करते हैं। जब गंगा मईया लेटे हनुमानजी का अभिषेक कराने उनके द्वार पहुंच जाती हैं तो इस दुर्लभ संयोग को देखने के लिए हजारों की भीड़ जमा होती है। ऐसे होने से साल शुभ का संकेत लेकर आता है ऐसी लोगों में मान्यता है। लेटे हनुमानजी मंदिर में पहुंचकर गंगा मां ने हनुमान जी को जलाभिषेक करा दिया है।