अगले महीने से संगम की धरती इलाहाबाद में माघ मेले का भव्य आयोजन होने वाला है। माघ मेले को लेकर संगम तट पर तंबुओं के शहर को बसाने की तैयारी शुरू हो गई है। माघ मेले में प्रमुख संस्थाओ की ओर से त्रिवेणी मार्ग पर गंगा के इस तरफ ही शिविर लगाया जाता था। वहीं इस मार्ग की 1800 बीघा जमीन कटान के कारण पानी में डूब गई है। जमीन पानी में चले जाने से प्रशासन के सामने मुसीबत आ खड़ी हुई है।
दरअसल इस कटान में त्रिवेणी मार्ग, काली मार्ग और महावीर मार्ग पर लगने वाली 150 संस्थाओं की जमीन भी पानी में डूब गई है। कटान के कारण केवल शहर की तरफ 4800 वर्ग फीट भूमि घट गई है। भूमि कम होने के कारण प्रशासन इन्हें झूंसी की ओर जमीन देना चाहता है। लेकिन संत शहर की ओर से झूंसी तरफ नहीं जाना चाहते। सभी संत शहर की ओर ही अपना शिविर सहित अन्य कार्यक्रम आयोजित करना चाहते हैं।
संतो की इस जिद के कारण प्रशासन के सामने मुसीबत खड़ी हो गई है। कटान के पीछे संत जहां प्रशासनिक अधिकारियों की लापरवाही मान रहे हैं। वहीं प्रशासनिक अधिकारियों के अनुसार कटान रोकने के लिए कटान रोकने के लिए छोटे बांध बनाए गए थे। लेकिन कटान के आगे बांध का कोई खास प्रभाव नहीं पड़ा। हालांकि प्रशासन की ओर से अब कटान रोकने पर तेजी से कार्य किया जा रहा है। प्रशासनिक अधिकारियों के अनुसार संतो को शहर की ओर ही जमीन दी जाएगी लेकिन उन्हें इस बार थोड़ी दूर बसना पड़ सकता है।
70 फीसदी माघ मेला झूंसी की ओर होगा। जबकि 30 फीसदी हिस्सा किले की ओर लगेगा। माघ मेला प्रारंभ होने में बहुत कम समय है। ऐसे में जिला प्रशासन की ओर से तैयारियों तेजी से चल रही हैं। तम्बुओं को बसाने के लिए बालुओं के टीलो को हटा कर समतलीकरण काम करीब पूरा हो चुका है। इलाहाबाद की ओर से झूंसी तरफ जाने के लिए पीपा पुल बनाने का काम भी तेज हो रहा है। बिजली की आपूर्ति के लिए मेला क्षेत्र में जगह-जगह बिजली के खम्भे और ताल लगाने का भी काम हो रहा है।