नहीं मिल सकी जमानत
हत्याकांड के पीछे बालू खनन के ठेके और सियासी वर्चस्व बड़ा कारण था। तब इस मामले में जिले के बड़े राजनीतिक कुनबे करवरिया परिवार के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया, जिसमें तेरह साल बाद करवरिया बंधुओं को जेल जाना। सबसे पहले भाजपा विधायक रहे उदयभान करवरिया को 1 जनवरी 2014 को पुलिस ने गिरफ्तार किया। उनके बड़े भाई और फूलपुर से बसपा से सांसद रहे जबकि कपिलमुनि करवरिया और विधानपरिषद सदस्य सूरजभान करवरिया की गिरफ्तारी अप्रैल 2015 में हुई। करवारिया बंधुओं की जमानत याचिका कोर्ट से खारिज हो चुकी है।
दो बार जांच, सालों से अटका केस
इस हाई प्रोफाइल घटना की दो बार जांच हुई। दोनों बार जांच सीबीसीआईडी से करवाई गई। इसके बावजूद इस केस का ट्रायल वर्षों से लटका है। बाद में हाईकोर्ट के दखल, सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर मुकदमे की सुनवाई शुरू हुई। अब तक इस मामले में अभियोजन पक्ष की ओर से 18 और बचाव पक्ष की ओर से 60 से ज्यादा गवाह पेश किए जा चुके हैं।