नाग पंचमी पर गंगा तट पर स्थित नागवासुकी मंदिर में भक्त चना, मटर, फूल ,माला और दूध चढ़ाने के लिए नागवासुकी मंदिर में बड़ी संख्या में लोग खड़े हैं । मान्यता है की नागपंचमी पर नागवासुकी मंदिर में पूजा अर्चना करने से कालसर्प दोष खत्म हो जाता है।बता दें की इस मंदिर में दर्शन.पूजन के लिए पंचमी पर देश भर से लोग आते है, पौराणिक मान्यता के अनुसार गंगा स्नान के बाद नागवासुकी की पूजा और अभिषेक करने से कष्टों से छुटकारा मिलता है मंदिर के द्वार पर गंगा पुत्र भीष्म पितामह की विशाल प्रतिमा शयन मुद्रा में है जो लोगो को आकर्षित करती है ।
बता दें धार्मिक मान्यताओं के अनुसार नाग पंचमी पर तक्षक या वासुकी की पूजा की जाती है।इन्हें सर्पो का स्वामी माना जाता है ।कुम्भ नगरी में नागवासुकी मंदिर शहर के उत्तरी छोर पर गंगा तट पर स्थित है । मंदिर के महंत पंडित श्याम धर त्रिपाठी ने बताया की नागवासुकी को शेषराज ,सर्फ़नाथ ,अंनत और सर्वाध्यक्ष भी कहा गया है। यहाँ वासुकी के साथ भोगवती तीर्थ का भी वास माना जाता है।महंत श्यामधर त्रिपाठी के अनुसार नागवासुकी मंदिर के आस पास विषधारी नागों का वास होता है।नागवासुकी मंदिर पत्थरों के टीले पर बसा है। जिसके तीन तरफ से गंगा की धारा प्रवाह मान है । महंत के अनुसार समुंद्र महंत शेषनाग यहाँ पर ब्रह्मा जी के आग्रह पर यहाँ निवास कर रहे है ।