यह आदेश मुख्य न्यायाधीश गोविन्द माथुर तथा न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा की खंडपीठ ने सुशीला देवी की आपराधिक जनहित याचिका पर दिया है। मालूम हो कि सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना वायरस प्रकोप को देखते हुए 7साल से कम सजा वाले आपराधिक मामले में जेल में बंद कैदियों की रिहाई पर राज्य सरकारों व हाईकोर्ट को गाइड लाइन बनाने का आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट के आदेश से एक उच्च स्तरीय कमेटी गठित की गयी।कोर्ट ने सुझावों पर विचार कर जेलों में बंद कैदियों को जमानत या पेरोल पर रिहा करने का आदेश दिया था।
जिसका पालन करते हुए मजिस्ट्रेट जेलों में गये और कैदियों की जमानत या पेरोल पर रिहा करने का आदेश दिया है। पेरोल की अवधि पूरी होने से पहले ही राज्य सरकार ने अवधि बढाने का निर्देश जारी किया है। जिसे कोर्ट ने पर्याप्त माना है।