प्रयागराज. पिता जिंदा हैं और उनका इलाज चल रहा है, इसे हकीकत मानकर बेटा रोज अस्पताल में जूस और फल पहुंचाता रहा। पर असल में पिता की न सिर्फ चार दिन पहले मौत हो चुकी थी, बल्कि अगले ही दिन बिना बताए ही उनका अंतिम संस्कार भी कर दिया गया था। बेटा जिसे अपना पिता समझ रहे थे वह कोई और ही था। प्रयागराज के स्वरूप रानी नेहरू अस्पताल की बदइंतजामी और लापरवाही के चलते बेटे को न तो समय पर अपने पिता की मौत की खबर ही मिल सकी और न ही वह आखिरी बार उनका मुंह देख पाया। अंतिम संस्कार करवाने का मौका भी नहीं मिला।
ट्रांसपोर्ट नगर महेन्द्र नगर निवासी बच्चीलाल ने के पिता मोतीलाल (82 वर्ष) जांच के बाद 12 अप्रैल को कोरोना संक्रमित पाए गए थे, जिसके बाद उन्हें एसआरएन अस्पताल में भर्ती कराया गया था। 16 और 17 को तालाबंदी के बाद 18 अप्रैल को बच्ची लाल अस्पताल पहुंचे तो उन्हें जानकारी दी गई कि उनके पिता को 37 नंबर बेड से 9 नंबर पर शिफ्ट कर दिया गया है। पर बुधवार को बेड नंबर 9 के मरीज का एक और तीमारदार आ गया और उसके पिता का नाम भी माेतीलाल ही था।
पुष्टि करने के लिये नर्स ने 9 नंबर बेड के मरीज को शीशे से दिखाया तो वह बच्चीलाल के पिता नहीं थे। अस्पताल में काफी भटकने और गिड़गिड़ाने के बाद जाकर बच्चीलाल को पता चला कि उनके पिता को 16 को शिफ्ट किया गया और 17 की सुबह उनकी मौत हो गई थी और उनका अंतिम संस्कार भी किया जा चुका है। समय से जानकारी नहीं देने की बात अस्प्ताल बहाना बनाकर टाल गया।