scriptPM मोदी सरकार करेगी रेंटल हाउसिंग स्कीम को प्रमोट | Govt to promote rental housing scheme as a viable option: Naidu | Patrika News

PM मोदी सरकार करेगी रेंटल हाउसिंग स्कीम को प्रमोट

Published: Dec 06, 2015 11:38:00 am

मोदी सरकार जल्द ही रेंटल हाउसिंग स्कीम को बढ़ावा देने वाली पॉलिसी की घोषणा करने जा रही है

Venkaiah Naidu

Venkaiah Naidu

नई दिल्ली। मोदी सरकार जल्द ही रेंटल हाउसिंग स्कीम को बढ़ावा देने वाली पॉलिसी की घोषणा करने जा रही है। इसके तहत सरकार ग्रामीण इलाकों से शहरों में पलायन करने वाली बड़ी आबादी को आवास सुविधा मुहैया करवाएगी। 2011 की जनगणना के आंकड़े बताते हैं कि शहरों में एक ओर एक करोड़ 90 लाख हाउसिंग यूनिट्स की कमी है तो दूसरी ओर एक करोड़ 10 लाख 90 हजार घर खाली पड़े हैं। आवास और शहरी गरीबी उन्मूलन मंत्री एम. वेंकैया नायडू ने रेंटल हाउसिंग ऐंड नैशनल हाउसिंग ऐंड हैबिटैट पॉलिसी पर एक क्षेत्रीय कार्यशाला में यह जानकारी दी। 

उन्होंने कहा कि हालांकि प्रॉपर्टीज के खाली पड़े रहने के कारणों को आंक पाना बहुत मुश्किल काम है, लेकिन यह महसूस किया जा रहा है कि कम किराया, किरायेदार से मकान वापस लेने से जुड़ी चिंता, इन्सेंटिव्स का अभाव आदि कुछ कारण हो सकते हैं। अभी देश में करीब 1.90 लाख घरों की कमी है। नायडू ने कहा, अगर इन खाली पड़े मकानों को किराए पर लगा दिया जाए तो घरों की कमी कुछ हद तक तो दूर की जा सकती है। हम एक फॉर्मल रेंटल हाउसिंग प्रोग्राम लाने की कोशिश में जुटे हैं जो खाली पड़े एक करोड़ 10 लाख 90 हजार घरों को कवर करेगा।

मकान की कमी से जूझने वाले लोगों में 56 प्रतिशत आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) से आते हैं जिनकी सालाना औसत आमदनी 1 लाख रुपए तक है। वहीं, 40 प्रतिशत लोग निम्न आय समूह (एलआईजी) से आते हैं जिनकी सालाना औसत आमदनी 1 से 2 लाख के बीच है। नायडू ने कहा, इस तरह आवास की कमी से जूझ रहे करीब 96 प्रतिशत लोग ईडब्ल्यूएस और एलआईजी कैटिगरी से आते हैं। मांग और आपूर्ति में तालमेल के अभाव का एक प्राथमिक कारण कम आमदनी वाले कम सामर्थ्यवान लोगों की बड़ी आबादी के लिए फॉर्मल हाउसिंग ऑप्शंस की कमी है।

उन्होंने कहा कि रेंटल हाउसिंग प्रोग्राम को सफल बनाने के लिए प्रोत्साहन नीति बनाई जाएगी। नायडू ने कहा, देश में एक वातावरण तैयार करने और रेंटल हाउसिंग को प्रोत्साहित करने के लिए सरकारों और रेग्युलेटरी एजेंसियों को विभिन्न समस्याओं का समाधान करना होगा। इनमें इस सेक्टर के आकलन से लेकर लीगल और रेग्युलेटरी फ्रेमवर्क, टैक्सेशन, इन्सेंटिव्स, संपूर्ण व्यवस्थित नीतिगत उपाय आदि से जुड़े मुद्दे शामिल हैं।
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