जैन ने बताया कि जीएसटी से पहले वर्क कांट्रैक्ट टैक्स, सेवा कर और वैट समेत आम आवासों पर कर की कुल दर 10 से 11 प्रतिशत थी जबकि सेवा कर में पांच प्रतिशत की छूट के कारण किफायती आवासों के लिए कुल दर पांच से छह प्रतिशत के बीच थी। वहीं, जीएसटी में सभी प्रकार के मकानों पर कर की दर 18 प्रतिशत तय की गई है। इससे सस्ते घरों पर टैक्स का बोझ बढ़ेगा जिससे वे महंगे हो जाएंगे।
अगले 12 महीने में जीडीपी में तेजी रहेगी
आर्थिक वृद्धि और मुद्रास्फीति की प्रवृत्ति में अगले 6 से 12 महीने में तेजी की संभावना है और इसके कारण रिजर्व बैंक नीतिगत दर को यथावत बनाए रख सकता है। नोमुरा की एक रिपोर्ट में यह कहा गया है। जापान की वित्तीय सेवा कंपनी के अनुसार मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक के ब्योरे के अनुसार मुद्रास्फीति के नीचे रहने तथा वृद्धि की चिंता को देखते हुए इस महीने की शुरुआत में नीतिगत दर में कटौती की। पर आने वाले समय में आरबीआई यथास्थिति बरकरार रख सकता है।
आर्थिक वृद्धि और मुद्रास्फीति की प्रवृत्ति में अगले 6 से 12 महीने में तेजी की संभावना है और इसके कारण रिजर्व बैंक नीतिगत दर को यथावत बनाए रख सकता है। नोमुरा की एक रिपोर्ट में यह कहा गया है। जापान की वित्तीय सेवा कंपनी के अनुसार मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक के ब्योरे के अनुसार मुद्रास्फीति के नीचे रहने तथा वृद्धि की चिंता को देखते हुए इस महीने की शुरुआत में नीतिगत दर में कटौती की। पर आने वाले समय में आरबीआई यथास्थिति बरकरार रख सकता है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि एमपीसी के अधिकतर सदस्यों ने अगस्त में नीतिगत दर में कटौती के पक्ष में वोट दिया। इसका कारण मुद्रास्फीति में गिरावट तथा वृद्धि के कमजोर होने के संकेत थे। हालांकि आने वाले दिनों में मुद्रास्फीति में तेजी की आशंका को देखते हुए तटस्थ नीतिगत रुख अपनाया गया। नोमुरा के अनुसार जुलाई में मुद्रास्फीति के आंकड़े से इस बात की पुष्टि हुई है कि जून में इसमें गिरावट आई और आने वाले समय में सब्जियों के दाम में तेजी के कारण इसमें वृद्धि की आशंका है।