जयपुर। आर्थिक तंगी से जूझ रहे जेडीए को उन्हीं के अफ सर नुकसान पहुंचा रहे हैं। ऐसा ही मामला स्पेशल इकॉनोमिक जोन (सेज) में सामने आया है। यहां जमीन आवंटन आरक्षित दर पर किया जा रहा है, जबकि नीलामी के जरिए इससे कई गुना ज्यादा राशि मिल सकती थी। दरअसल यहां अवाप्ति के बदले मुआवजे के रूप में दिए जाने वाले भूखंड हैं। यह जमीन बढ़े हुए क्षेत्रफल के नाम पर आवंटित की जा रही है। जमीनों का आवंटन आरक्षित दर पर किया जा रहा है, जबकि नीलामी के जरिए जेडीए की तिजोरी में ज्यादा रोकड़ आती।
8 प्रस्ताव स्वीकृत जेडीए की सम्पत्ति निस्तारण समिति की शुक्रवार को हुई बैठक में 12 में से 8 प्रस्ताव इसी तरह के थे। बैठक में 13 वर्गमीटर, 30, 47, 50, 175, 447, 1202 वर्गमीटर तक के भूखण्डों का आवंटन करने के प्रस्तावों को मंजूरी दी गई। बताया जा रहा है कि मुआवजे में दिए भूखण्डों की प्लानिंग इस तरह से की गई कि आरक्षित भूखण्ड के पास बाकी बची जमीन (स्ट्रीप ऑफ लैण्ड या बढ़ा हुआ भूखण्ड) बड़ी संख्या में रह गई। ऐसे भूखण्डों का क्षेत्रफ ल 10 मीटर से लेकर 1500 वर्गमीटर तक है।
यूं चला मामला सेज योजना के लिए करीब 12 वर्ष पहले
अजमेर रोड के पास खटवाड़ा, झांई, भम्भोरिया, टीलावास, पालड़ी परसा, नरसिंहपुरा, दादिया, कलवाड़ा, नेवटा गांव में कई बीघा जमीन अवाप्त की। अवाप्ति के बदले जेडीए ने मुआवजे के रूप में दिए जाने वाले विकसित भूखण्डों का आवंटन के लिए एक बड़ा भू-भाग आरक्षित रखा। इस बड़े भू-भाग की विभिन्न साइज के भूखण्डों के रूप में प्लानिंग की गई। उसके बाद खातेदारों को उन भूखण्डों में से मुआवजे के रूप में भूखण्ड आवंटित किए गए।