धर्म, जाति या खानपान के आधार पर घर नहीं बेच सकेंगे बिल्डर
Published: Jun 13, 2016 11:52:00 am
घर बेचते समय या किराये पर देते समय अक्सर बिल्डर या डवलपर ये पूछते हुए पाए जाते हैं कि आप वेज हैं या नॉनवेज, किस धर्म के हैं
नई दिल्ली। घर बेचते समय या किराये पर देते समय अक्सर बिल्डर या डवलपर ये पूछते हुए पाए जाते हैं कि आप वेज हैं या नॉनवेज, किस धर्म के हैं। ऐसी स्थिति से उपभोक्ताओं को बचाने के लिए केंद्र सरकार रियल एस्टेट बिल में कई बड़े परिवर्तन की तैयारी में है। रियल एस्टेट एक्ट में कुछ ऐसी नई धाराएं शामिल करने जा रही है जिसके बाद बिल्डर्स घर बेचने के दौरान खरीदारों से धार्मिक, लैंगिक या खानपान की आदतों के आधार पर भेदभाव नहीं कर पाएंगे।
रियल एस्टेट एक्ट (रेग्युलेशन एंड डवलपमेंट) 2016, इस साल पहले ही पास किया जा चुका है। इस कानून के मुताबिक बिल्डर्स और खरीदार के बीच एक रेग्युलेरिटी अथॉरिटी या ट्रिब्यूनल काम करेगा जो इस तरह की घटनाओं पर नियंत्रण और सुनवाई के लिए काम करेगा। आवास और शहरी गरीबी उन्मूलन मंत्रालय 31 अक्टूबर से पहले इसे लागू करने की योजना बना रही है। इसके लागू होने के बाद अगर बिल्डर दोषी पाया गया तो उन्हें 3 साल जेल तक की सजा भुगतनी पड़ सकती है। इसके अलावा जल्द ही नई रेंटल नीति का भी ऐलान किया जाना है।
भेदभाव होगा खत्म
मंत्रालय के आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक संविधान में भेदभाव को लेकर कड़े निर्देश दिए गए हैं जिन्हें आधार मानकर कानून में ये नई चीजें जोड़ी जा रहीं हैं। इसके अलावा सरकार की जिम्मेदारी है कि वह घर खरीदने वाले नागरिकों को किसी भी तरह के भेदभाव से दूर रखे। इस कानून के दायरे में घर खरीदने के दौरान जातिगत, रंगभेद, लैंगिक, सेक्सुअल ओरियंटेशन और खानपान के आधार पर किए गए भेदभाव की घटनाओं पर सुनवाई की जाएगी। भेदभाव के शिकार खरीदार एस्टेट ट्रिब्यूनल में अपील कर सकेंगे।