5 दिसंबर 2025,

शुक्रवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

गैर जिम्मेदार बिल्डरों की नकेल है ‘रेरा’

भारत का रेरा कानून दुबई और अमेरिकी मॉडल पर आधारित है

less than 1 minute read
Google source verification

image

Sunil Sharma

Jul 29, 2017

real estate news

real estate news

नई दिल्ली। बिल्डरों की मनमानी रोकने के लिए बनाया गया रीयल एस्टेट रेग्युलेटरी अथॉरिटी अधिनियम (रेरा) एक तरफ जहां मकान खरीदने वालों की हितों की रक्षा करता है तो दूसरी तरफ कई गैर जिम्मेदार बिल्डरों के कामकाज को भी ठप कर सकता है। ऐसा कहना है अरेबियन कंस्ट्रक्शन कंपनी के प्रबंध निदेशक अनी रे का।

उन्होंने कहा, "भारत का रेरा कानून दुबई और अमेरिकी मॉडल पर आधारित है। वहां जब 2009 में पहली बार रेरा लागू हुआ था तो कई कंपनियों को अपना कामकाज बंद करना पड़ा था।"

रेरा: सिर्फ 3 दिन बाकी, एक भी प्रोजेक्ट नहीं हुआ रजिस्टर
रियल एस्टेट रेग्यूलेरेटी एक्ट (रेरा) में ऑनगोइंग प्रोजेक्ट्स के रजिस्ट्रेशन के लिए 31 जुलाई तक का वक्त है, लेकिन प्रदेश के 27 जिलों में चल रहे रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स में से किसी ने भी अब तक इसमें रजिस्ट्रेशन नहीं लिया है। सिर्फ जयपुर, बीकानेर, गंगानगर, अलवर, सीकर और कोटा के कुल 20 प्रोजेक्ट्स ही अब तक रेरा में रजिस्टर्ड हुए हैं। हालांकि जैसे-जैसे अंतिम तिथि नजदीक रही है वैसे-वैसे रजिस्ट्रेशन आवेदनों की संख्या बढ़ भी रही है। मंगलवार तक 48 प्रोजेक्ट्स आवेदन कर चुके हैं।

देरी इसलिए भी क्योंकि गलत जानकारी देने पर लग सकता है भारी जुर्माना
डवलपर्स का कहना है कि रेरा में रजिस्ट्रेशन के लिए मांगी जा रही जानकारी बहुत ज्यादा है। ऐसे में डाक्यूमेंट्स को रेरा वेबसाइट पर अपलोड करने में भी समय लगता है। इसके अलावा डाक्यूमेंट्स में प्रोजेक्ट से जुड़ी जानकारी गलत हो तो प्रमोटर को प्रोजेक्ट की लागत का 5 प्रतिशत तक जुर्माना देना पड़ सकता है।