डॉक्टर शॉन डीओनी, अमेरिका के ब्राउन विश्वविद्यालय में बाल चिकित्सा एवं इंजीनियरिंग के प्रोफेसर हैं। जो मुख्य रूप से एक भौतिक वैज्ञानिक है जो एम.आर.आई मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग पर एक विशेषज्ञ है और इसका उपयोग मस्तिष्क के विकास और प्रारंभिक बचपन के विकास को समझने के लिए करते हैं। उन्होंने और उनकी टीम ने व्यापक समूह विकसित किए हैं जो मस्तिष्क के विकास का अध्ययन करने वाले शुरुआती किशोरों तक गर्भावस्था से शुरू होते हैं और विभिन्न कारकों के प्रभाव को और कैसे प्रभावित करें, उस पर अनुसंधान करते हैं।
आशा बहु कृष्णकती टीम से मिलकर बहुत खुश हुईं और अपने कार्य की जानकारी साझा की। कि कैसे रास्ते में ही डिलीवरी हो जाने के बावजूद वो मां संतोष कुमारी को अस्पताल ले गईं। केएमसी में 2 दिन रुकी और केएमसी सीख कर वापस आयीं। जिसके बाद अमेरिकी टीम नेज्ञात हो कि कम्युनिटी एम्पोवेमन्ट लैब संस्था शुरुआती बच्चों के दिमाग के विकास पर एक अध्ययन कर रही है। जिसमें बच्चों का एमआरआई लखनऊ ले जाकर होता है और उनके घरों में जाकर कुछ डिवाइस लगाई जाती हैं जिससे कि दिमाग के विकास पर प्रवाभ डालने वाले कारकों को जान सकें। जैसे कि हवा कि गुणवत्ता, बच्चे के सोने का तरीका, उसका भोजन, उससे बाते करना, उसकी शारीरिक गतिविधि आदि। फिर टीम कम्युनिटी एम्पोवरमेंट लैब के आफिस शिवगढ़ कोठी गयी, जहां उन्होंने और करीबी से समझा और जाना कि अब 106 जगह 74 ज़िलों में कंगारू मदर केयर लाउंज बनकर तैयार होगा, अक्टूबर में राज्य के सभी ज़िलों से नर्सों की ट्रेनिंग शिवगढ़ में होगी। जिसके लिए टीम ने समस्त कम्युनिटी एम्पोवेर्मेंन्ट लैब और शिवगढ़ स्वास्थ्य टीम को शुभकामनाएं दीं।
इसके अलावा, उन्होंने मस्तिष्क में माइलिनिनेशन को मापने के लिए एक तकनीक प्रोटोकॉल विकसित किया है जो सफेद और भूरे पदार्थ का एक उपाय प्रदान करता है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, शिवगढ़ में सुंदर और साफ लाउन्ज को देखकर पूरी टीम बहुत प्रभावित हुई। सीएचसी की नर्सों से मिलें और जाना कि केएमसी से उनके कार्य में क्या परिवर्तन आया है। जिस पर नर्स ने बताया कि केएमसी से हम नर्सों का रिश्ता माँ के साथ बहुत बेहतर हो जाता है, माएं अब 3-4 दिन तक रुकती है। उन्हें ये अग्रिमां ये कमरा दोंनो बहुत अच्छा लगता है, माएं डिस्चार्ज होने के बाद भी कई बार वापस फॉलोअप के लिए आती हैं।
डॉक्टर राउंड भी केएमसी लाउन्ज में 3 बार होता है, जिससे माँ भी स्वयं और बच्चे को डॉक्टर को दिखा सकती हैं। डॉ. सोनकर ने बताया कि केएमसी लाउंज के आने के बाद माँ धनदेवी एक महीने से ज़्यादा रुकी और अन्य मांओं के लिए मिसाल बनीं हैं। सुनीता बुआ और ब्रम्हा बुआ जी भी समय से केएमसी लाउंज की सफाई पर ध्यान देती हैं, जिसे जानकर डॉ. शॉन और उनकी टीम नें पूरे स्टाफ को बहुत-बहुत धन्यवाद दिया। अग्रिमां को माँओं और शिशुओं के निःस्वार्थ सेवा करने हेतु माननीय मुख्यमंत्री से देवी अवार्ड से सम्मानित किए जाने पर डॉ. शॉन की टीम ने अग्रिमाओं को शुभकामनाएं दी।
डॉ. शॉन ने लाउंज को देखकर कहा कि इस तरह की सुविधा तो अमेरिका में भी केएमसी माँओं को नही मिलती हैं। यहां से बहुत कुछ सीखने की जरूरत है। जिसके बाद टीम चितवनियां ग्रामसभा के पूरे गंगादीन संतोष कुमारी पत्नी राहुल गौतम के घर गयी। बताते चलें कि संतोष कुमारी ने 4 सितंबर 2018 को 1870 ग्राम के लोबर्थ वेट बेबी को जन्म दिया था। जिसके चलते उन्हें केएमसी लाउंज में शिफ्ट किया गया गया था। जहां संतोष कुमारी 2 दिन रुककर बेबी को केएमसी देना सीखा था। जहां से डिस्चार्ज होने के बाद घर लौटी मां संतोष कुमारी बेबी को करीब 24 घंटे में 14-16 घण्टे केएमसी देती हैं। जब घर के काम करती हैं तो उनके पति राहुल घर पर केएमसी देते हैं। इसके साथ ही बच्चे की दादी भी केएमसी देती हैं।