अग्रवाल ने 6 दिसंबर की रात को राजधानी के जंगपुरा क्षेत्र में अपने पड़ोस में स्थित अय्यर के आवास पर हुई यह बैठक होने की जानकारी सबसे पहले सार्वजनिक की थी और उन्होंने राष्ट्रीय जांच एजेंसी को बाकायदा एक पत्र लिखकर इस बैठक के आयोजन एवं उसमें हुई बातचीत की जांच करने और अय्यर एवं अन्य नेताओं के विरुद्ध भारतीय दंड संहिता की धारा 124 के तहत मुकदमा दर्ज करने की मांग की है। अग्रवाल ने दावा किया कि उस बैठक में
गुजरात चुनाव को लेकर कुछ योजना बनी थी और उसी के तहत अय्यर ने अगले दिन सुबह मीडिया को बुलाकर मोदी को नीच किस्म का आदमी कहा था। उन्होंने कहा कि मोदी को नीच किस्म का आदमी कहने के लिए अय्यर के मुंह का इस्तेमाल किया गया था।
उल्टे प्रधानमंत्री से माफी मांगने की बात कह रही है दरअसल, यह डॉ. सिंह, अंसारी, पाकिस्तानी नेता एवं उच्चायुक्त और कांग्रेस पार्टी के बड़े नेताओं की देश के सबसे लोकप्रिय प्रधानमंत्री के विरुद्ध सामूहिक दुर्भावना है। इसके लिए कांग्रेस के नेतृत्व को देश से माफी मांगनी चाहिए। इसकी बजाए वह उल्टे प्रधानमंत्री से माफी मांगने की बात कह रही है। यह उल्टा चोर कोतवाल को डांटे वाली बात है।
वहां भारी सुरक्षा इंतजाम थे
उन्होंने बताया कि अय्यर जंगपुरा एक्सटेंशन के मकान नंबर जी.43 में रहते हैं जबकि उनका घर एफ.1 है। 6 दिसंबर की देर शाम को उन्होंने देखा कि पूर्व उपराष्ट्रपति अंसारी, पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. सिंह, पाकिस्तान के उच्चायुक्त, कसूरी एवं अन्य गणमान्य लोग अय्यर के निवास पर आए थे और वहां भारी सुरक्षा इंतजाम थे। पाकिस्तानी उच्चायुक्त की कार उनके आवास के पीछे वाले हिस्से में खड़ी थी। वहां पुलिस एवं अन्य सुरक्षा बलों का जमावड़ा था।
अय्यर के घर वह मीटिंग जारी थी
उन्होंने पुलिसकर्मियों से पूछा तो उन्होंने बताया कि कोई मीटिंग चल रही है। उन्होंने इसे सामान्य रूप में लिया और अपने गंतव्य चले गए। वे जब देर रात घर लौटे तो देखा कि अय्यर के घर वह मीटिंग जारी थी। उन्हें तब तो कुछ भी असहज नहीं लगा लेकिन जब अगले दिन अय्यर ने मीडिया को बुलाकर मोदी के विरुद्ध जहरीली टिप्पणी की तो वे हतप्रभ रह गए।
सूचना क्यों नहीं दी गई थी
अग्रवाल ने कहा कि गुजरात में पहले चरण के मतदान के ठीक 2 दिन पहले 7 दिसंबर को अय्यर का ऐसा बोलना और पूर्व उपराष्ट्रपति एवं पूर्व प्रधानमंत्री का प्रोटोकॉल तोड़कर अय्यर के निवास पर पाकिस्तानी उच्चायुक्त से मिलना कोई अलग.अलग बातें नहीं थीं। उस बैठक में इस बारे में बात हुई थी। कांग्रेस नेताओं ने कहा है कि वह बैठक भारत-पाकिस्तान संबंधों पर हुई थी। अगर ऐसा था तो विदेश मंत्रालय एवं गृह मंत्रालय को सूचना क्यों नहीं दी गई थी, जो कि ऐसे मामलों में अनिवार्य होता है।
विपरीत और संदेहास्पद था
उन्होंने कहा कि सवाल यह है कि क्या यह केवल लापरवाही का मामला है या विशेष प्रयोजन के लिए जान-बूझकर किया गया कृत्य। आजाद भारत के इतिहास में ऐसा कभी नहीं सुना गया कि भारत सरकार के 2 शीर्ष पदाधिकारी रहे राजनेताओं ने इस प्रकार की गुप्त बैठकें कीं। उन्होंने कहा कि अगर ऐसा नहीं होता तो मीडिया में खबरें आने के बाद भी अंसारी या डॉ. सिंह की ओर से बैठक के बारे में भारत सरकार को कोई लिखित नोट भेजा जाता। विदेश मंत्रालय कह चुका है कि यह बैठक किसी ट्रैक.2 कूटनीति का हिस्सा भी नहीं थी, इसलिए इस बैठक का निश्चय ही कोई खास मकसद था, जो देशहित के विपरीत और संदेहास्पद था।