scriptएशियन गेम्स में सिल्वर मेडल जीतने वाली सुधा सिंह का जिले में हुआ भव्य स्वागत | asian games 2018 athlete sudha singh untold story in hindi | Patrika News

एशियन गेम्स में सिल्वर मेडल जीतने वाली सुधा सिंह का जिले में हुआ भव्य स्वागत

locationरायबरेलीPublished: Sep 14, 2018 02:59:30 pm

Submitted by:

Mahendra Pratap

एशियन गेम्स में अपना पताका फहराने वाली लोगों की लाडली सुधा सिंह को लेकर लोगों के आखों में खुशी के आंसू दिखाई पड़े।

asian games 2018 athlete sudha singh untold story in hindi

एशियन गेम्स में सिल्वर मेडल जीतने वाली सुधा सिंह का जिले में हुआ भव्य स्वागत

रायबरेली. एशियन गेम्स में अपना पताका फहराने वाली लोगों की लाडली सुधा सिंह के स्वागत को लेकर जिले का हर जनमानस आगे बढ़ कर फूल मालाओं की वर्षा करते और गुलदस्ते देते दिखा। लोगों के आखों में खुशी के आंसू दिखाई पड़े। बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक अपनी लाडली बेटी को देखने की कोशिश करते रहे। करीब पांच किलोमीटर के इस स्वागत जुलूस को देखकर सुधा सिंह और उनका पूरा परिवार जिले की जनता का शुक्रिया अदा करता नजर आया।

सुधा सिंह ने जिले का नाम रोशन किया

रायबरेली की धरती का जकार्ता में लोहा मनवाने वाली एथलीट सुधा सिंह नें यह बता दिया है कि छोटे से जिले से निकल कर हम पूरी दुनिया में अपने भारत देश का तिरंगे झण्डे का मान रखने वाले हैं। इसी रायबरेली की धरती से क्रिकेट खिलाड़ी रुद्र प्रताप सिंह ने भी क्रिकेट की दुनिया में नाम कमाया। अगर राजनीति में देखा जाए तो स्व. श्रीमती इंदिरा गांधी ने सारी दुनिया में अपना लोहा मनवाया था। पूरा देश ही नहीं दुनिया के लोग भी उनको आयरन लेडी के नाम से पुकारते थे। आज हमारे बीच सुधा सिंह ने भी जिले का नाम रोशन किया हैं।

सुधा सिंह एक मिडिल क्लास की बेटी रही है और उन्होने अपने पिता और आईटीआई फैक्ट्री के लोगों का भी काफी सहयोग मिला। उनके सहयोग में राजाराम पाण्ड़ेय का भी काफी सहयोग रहा है। यह उनके परिवार के सदस्य की तरह है। इन्होंने रुद्र प्रताप सिंह क्रिकेट खिलाड़ी का भी काफी सहयोग किया था।

परिवार में मेडल मिलते ही खुशी की लहर

रायबरेली की सुधा सिंह के मेडल पाने की खबर मिलते ही परिवार वालों के साथ ही प्रशंसकों और खेल प्रेमियों में खुशी की लहर दौड़ गई। बचपन से ही खेल की शौकीन रही सुधा सिंह ने अपनी शिक्षा रायबरेली जिले से ही पूरी की। एथलेटिक्स के क्षेत्र में सुधा की शुरुआत वर्ष 2003 में लखनऊ के स्पोर्ट्स कॉलेज से हुई।

स्टीपलचेज की खिलाड़ी सुधा सिंह ने अपनी कामयाबी के बीच किसी को भी आने नहीं दिया। यही वजह है कि 14 वर्ष में ही उन्होंने पहला पदक जीता। वर्ष 2012 की अर्जुन अवार्ड विजेता एवं देश की जानी-मानी एथलीट सुधा सिंह ने एशियन गेम्स में अपने देश को मेडल दिलाने के लिए कड़ी मेहनत की थी।

सुधा सिंह एशियन गेम्स में रजत पदक हासिल करने के बाद सुधा सिंह ने सबसे पहले अपने घर पर फोन लगाया। उन्होंने अपने पिता हरिनारायण सिंह, मां शिव कुमारी सिंह, बडे़ भाई धीरेन्द्र प्रताप सिंह और छोटा भाई प्रवेश सिंह से बातचीत करते हुए इस उपलब्धि पर खुशी जताई। परिवारीजनों ने भी सुधा को मिली उपलब्धि पर खुशी जताते हुए बधाई दी।

सुधा सिंह के परिजन

सुधा सिंह को दुनिया में परचम लहराने में सबसे बड़ा सहयोग उनके बडे़ भाई धीरेन्द्र प्रताप सिंह का है जो कि आर्मी में नौकरी करते है साथ ही उनके पिता का है जो पूर्व आईटीआई कर्मचारी थे क्लर्क पद पर रहे। अब पिछले कुछ वर्ष पहले वह रिटायर हो गए है और उन्होंने अपना सारा जीवन बच्चों की पढ़ाई और अच्छी शिक्षा में लगाया। सुधा सिंह का छोटा भाई प्रवेश नारायण सिंह फिरोजगांधी इंजीनियरिंग कालेज में प्रोफेसर है। माता इनकी घर के कार्य को देखती है।

सुधा सिंह के पिता का कहना है कि सुधा सिंह के खेल के लिए इनका बड़ा भाई उस समय सुबह चार बजे तैयार होकर सुधा सिंह को साथ में दौड़ने जाया करता था। वह सुधा सिंह के एक तरह से सुरक्षा गार्ड की तरह उनके साथ बना रहता था। सुधा सिंह धर्म में भी काफी हिस्सा लेती है। सुबह उठकर गाय को चारा खिलाना, रोज गाय के पैर छूना, अभय दाता के मन्दिर में रोज जाकर दर्शन करना एवं लोगों की भलाई के लिए मदद करते रहना यह भी उनके जीवन का बड़ा हिस्सा रहा है और आज भी है। सुधा सिंह की शादी लालगंज में हुई थी इनके पति भी आर्मी में है , इनको काफी प्रोत्साहन मिलता रहता है।

बेटी की उपलब्धि पर खुशी होती है

इस दौरान बेटी की उपलिब्ध पर मां-पिता की आंखें भर आईं। कहा कि बेटी ने हमेशा हमारा मान बढ़ाया है। भाई प्रवेश ने कहा कि सुधा भले ही स्वर्ण पदक पाने से चूक गईं, फिर भी वह रजत पदक से वह काफी खुश हैं। ये हमारे लिए गौरव की बात है। भाई का कहना है कि जिस तरह यहां सुविधाओं का अभाव है, उसमें सुधा की अपनी मेहनत ही है कि वह निरंतर उपलब्धियां हासिल कर रही हैं। एशियन गेम्स में भी पदक हासिल करने के लिए सुधा ने दिन-रात कड़ी मेहनत की थी।

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो