डलमऊ कस्बा क्षेत्र में नया सवेरा योजना के अंतर्गत मुराई बाग सहित सभी 10 वार्डों में 80 लाख की लागत से 20 हाई मास्ट लाइटों की स्थापना की गयी। लेकिन मानकों को ताक पर रख कर लगाई गयी उक्त मास्ट लाइटें एक माह भी मार्गों को प्रकाशित न कर सकीं। वहीं तीन वर्ष पूर्व भारतीय स्टेट बैंक की ओर से नगकर पंचायत क्षेत्र में 2 सौ 55 सोलर लाइट की स्थापना कराई गयी थी। लेकिन वर्तमान समय में 70 फीसदी लाइटें ध्वस्त हो गई तो वहीं 20 फीसदी लाइटें अज्ञात चोरों के हत्थे चढ़ गई है। किसी का पैनल तो किसी की बैट्री चोरों द्धारा चुराई जा चुकी है। लेकिन स्थानीय प्रशासन तमाशबीन बना हुआ है।
डलमऊ नगर पंचायत क्षेत्र में वैकल्पिक विद्युत आपूर्ति के लिये आपूर्ति के नाम पर तीन करोड़ से अधिक रुपये पानी की तरह बहाए गए। लेकिन एक भी लाइट ऐसी नहीं है, जो रात के अंधेरे में राहगीरों को रास्ता दिखा सके। डलमउ नगर पंचायत अध्यक्ष बृजेश दत्त गौड़ ने बताया कि सोलर लाइटों को लगाने में की गयी अनियमितता की जांच कराई जाएगी। जो भी दोषी होगा, उसके विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जायेगी।
नगर पंचायत की जनता व व्यापरियों का कहना है जगदीश सिंह का कहना है कि लाइटें तो तब बड़ी जल्दी-जल्दी लगाई गई थी, लेकिन बाद में उसके देखभाल करने के लिए कोई कर्मचारी वहां मौजूद नहीं किया गया था। जिससे वह लाइटें जलाने और उसके रखरखाव के लिए कोई नियुक्त हो सके, इस बारे में शासन ने भी कहा था। अगर इन लाइटों में समस्या होगी तो वह ठीक कराई जाएंगी लेकिन कुछ भी नहीं हुआ और लाइटें बंद हो चुकी है। राहगीरों को रात के अंधेरे में निकलना काफी मुसीबत भरा सफर होता है ।
इसी तरह व्यापारियों का भी यही कहना है कि सोलर लाइट तो एक अच्छी योजना थी लेकिन कुछ दिन में ही वह जलकर बंद हो गई। इसमें हम लोगों ने एक दो बार सही कराने की कोशिश भी की लेकिन इसकी रिपेयरिंग ज्यादा महंगी होने के कारण हम लोगों ने ध्यान देना बंद कर दिया, उसे रात के समय ग्राहक लोग आते हैं तो वह अधिकतर कहते हैं कि भाई साहब लाइट तो सही करवा लो लेकिन हम लोग क्या करें कहां तक पैसा लगाएं प्रशासन या इससे पहले के पंचायत के लोग ध्यान नहीं दिया जिससे आज यह स्थिति पैदा हो गई है ।