नहीं लिया सरकारी मदद
सबसे बड़ी बात यह रही की विक्रम सिंह ने अपना यह स्टार्टअप बिजनेस बिना सरकारी मदद से शुरू किया। उन्होंने चहास नाम से चाय की दुकान सबसे पहले नोएडा में खोली। जब बिजनेस चल निकला तो उन्होंने दूसरा आउटलेट नोएडा के सेक्टर ६२ में शुरू किया। रायबरेली के रहने वाले विक्रम सिंह ने एक आउटलेट अपने जिले शहर रायबरेली में भी खोला है। रविवार को उन्होंने यहां दूसरा आउटलेट भी शुरू किया।
यहां से लिया आइडिया
मध्य प्रदेश के ग्वालियर से एमसीए करने वाले विक्रम सिंह को एल एंड टी कंपनी में नौकरी मिली। कंपनी ने एक प्रोजेक्ट के तहत उन्हें छह महीने के लिए लंदन भेजा। नए स्टार्टअप के लिए आइडिया विक्रम को लंदन में चलने वाले कॉफी कैफे से मिला। जब वे भारत वापस आए तो उन्होंने कुछ कंपनियों में नौकरी भी की। इसके साथ ही वे चाय के बिजनेस पर भी काम करने लगे। इस दौरान उन्होंने इंटरनेट पर चाय पर रिसर्च जारी रखी।
विक्रम के चहास में मिलती है 25 तरह की चाय
विक्रम सिंह के चाय ठेला पर आप पहुंचे तो वहां आपको २५ तरह की चाय का स्वाद ले सकते हैं। ७ रुपया से लेकर ९९ रुपए तक की उनकी चाय बिकती है। इसमें अदरक वाली चाय की मांग सबसे अधिक होती है।
सबसे बड़ी बात यह रही की विक्रम सिंह ने अपना यह स्टार्टअप बिजनेस बिना सरकारी मदद से शुरू किया। उन्होंने चहास नाम से चाय की दुकान सबसे पहले नोएडा में खोली। जब बिजनेस चल निकला तो उन्होंने दूसरा आउटलेट नोएडा के सेक्टर ६२ में शुरू किया। रायबरेली के रहने वाले विक्रम सिंह ने एक आउटलेट अपने जिले शहर रायबरेली में भी खोला है। रविवार को उन्होंने यहां दूसरा आउटलेट भी शुरू किया।
यहां से लिया आइडिया
मध्य प्रदेश के ग्वालियर से एमसीए करने वाले विक्रम सिंह को एल एंड टी कंपनी में नौकरी मिली। कंपनी ने एक प्रोजेक्ट के तहत उन्हें छह महीने के लिए लंदन भेजा। नए स्टार्टअप के लिए आइडिया विक्रम को लंदन में चलने वाले कॉफी कैफे से मिला। जब वे भारत वापस आए तो उन्होंने कुछ कंपनियों में नौकरी भी की। इसके साथ ही वे चाय के बिजनेस पर भी काम करने लगे। इस दौरान उन्होंने इंटरनेट पर चाय पर रिसर्च जारी रखी।
विक्रम के चहास में मिलती है 25 तरह की चाय
विक्रम सिंह के चाय ठेला पर आप पहुंचे तो वहां आपको २५ तरह की चाय का स्वाद ले सकते हैं। ७ रुपया से लेकर ९९ रुपए तक की उनकी चाय बिकती है। इसमें अदरक वाली चाय की मांग सबसे अधिक होती है।
युवाओं को रोजगार देना प्राथमिकता लाखों का पैकेज छोड़कर अपना स्टार्टअप शुरू करने वाले विक्रम सिंह खुद तो राजगारी बने ही उनकी प्राथमिकता युवाओं को रोजगार देना है। इसीलिए वह हर शहर में अपना यह बिजनेश शुरू करना चाहते हैं। विक्रम सिंह के इस कार्य की प्रशंसा नोएडा से रायबरेली तक हो रही है।