फरियाद न सुनने के कारण महिला के साथ हुई घटना मामला करीब दस साल पहले का है । बसपा शासनकाल के दौरान ऊंचाहार क्षेत्र के एक गांव के दलित महिला ने गांव के ही कुछ लोगो के विरुद्ध यौन उत्पीड़न समेत कई अपराधों में आरोप लगाते हुए कोतवाली में शिकायत की थी । उस समय ऊंचाहार कोतवाली प्रभारी बलराम मिश्र थे । जो अब सेवानिवृत्त हो चुके है । बाद में महिला का रायबरेली शहर में कथित तौर पर अपहरण भी हुआ और उसके ऊपर तेजाब छिड़ककर फुरसतगंज थाना क्षेत्र के फेंक दिया गया था । इसी प्रकार महिला ने ऊंचाहार एनटीपीसी के एक अधिकारी समेत सीआईएसएफ के अधिकारियों के विरुद्ध भी मुकदमा लिखा चुकी थी । सन 2017 में प्रदेश में भाजपा सरकार बनते ही महिला ने लखनऊ जाते समय गंगा गोमती एक्सप्रेस ट्रेन में अपने ऊपर तेजाब से हमला होने की शिकायत की थी । और उसे लखनऊ मेडिकल कालेज में भर्ती किया गया था । जिसे देखने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मेडिकल कालेज पहुंचे थे। मुख्यमंत्री के पहुंचते ही मामले में प्रदेश का पूरा पुलिस महकमा जुट गया । कई स्तर से जांच शुरू हुई । नतीजा यह निकला कि महिला पर ट्रेन में एसिड अटैक की घटना झूठी है । इसके बाद मामला सीबीसीआईडी के सुपुर्द हो गया ।
दस साल पहले के मामले में सीबीसीआईडी ने की कार्रवाई सीबीसीआईडी कानपुर मामले की पड़ताल कर रही है । इस बीच सीबीसीआईडी ने यह पाया कि प्रारंभ में यदि ऊंचाहार पुलिस मामले में तत्काल कार्रवाई कर देती तो महिला को इधर उधर न भटकना पड़ता । सीबीसीआईडी की संस्तुति के बाद ऊंचाहार कोतवाली के प्रभारी रहे बलराम मिश्र के विरुद्ध दायित्व निर्वहन में लापरवाही बरतने की प्राथमिकी दर्ज की गई है ।
यहां पर खास बात यह है कि महिला ने जितने भी आरोप लगाए थे , उसमे अधिकतर मामले जांच में झूठे पाए गए है । अथवा जांच में घटना का कोई साक्ष्य नहीं मिला है । अब जब घटना ही झूठी थी तो दायित्व निर्वहन में लापरवाही की बात हास्यास्पद है । हालांकि प्राथमिकी दर्ज होने के बाद पुलिस इसकी विवेचना कर रही है ।