आपको बताते चले कि लगभग एक माह पहले भी गंगा नदी में हजारों मछलियां मर गई थी। मर रही मछलियों को संज्ञान में लेकर अधिकारी जांच पड़ताल करने जरूर आये थे लेकिन सिर्फ खानापूर्ति करके वापस चले गय थे, यदि अधिकारियों ने सबक लिया होता तो शायद दोबारा ऐसी घटना न घटती। कस्बे के वीआईपी घाट से लेकर तकरीबन सभी घाटों पर मरी हुई मछलियां उतरा रही थी। गंगा स्नान करने आये श्रद्धालुओं ने मरी हुई मछलियों के बारे में अपने तीर्थ पुरोहितों को बताया। जिस पर तीर्थपुरोहितों ने तहसील प्रशासन को मरी हुई मछलियों के बारे में बताया।
मछलियों के गंगा नदी में मरने को लेकर घाट किनारे कस्बे वासियों का मजमा लग गया और लोग तरह तरह की चर्चा करने लगे। कस्बे वासियों की सूचना पर पहुंचे तहसील के अधिकारियों ने मछलियां किस वजह से मर रही है उसका जायजा लेते हुए सम्बंधित विभाग को बताकर जांच पड़ताल कराने की बात कही।
वही मरी हुई मछलियों को स्थानीय मछुआरों द्वारा बोरो में भरने का सिलसिला पूरी रात जारी रहा। घाट किनारे स्थित कस्बे के लोगों ने बताया कि मछुआरों द्वारा बोरों में मछलियों को भरकर व्यापार के लिये भेज दिया गया है। इस बात को लेकर समय रहते अधिकारियों ने ध्यान न दिया तो मछलियों की खरीद फरोख्त करने वाले व्यक्ति बीमारी की चपेट में आ सकते हैं।
प्रशासन का क्या कहना है उपजिलाधिकारी प्रदीप कुमार वर्मा ने बताया कि मामले को लेकर जिलाधिकारी को अवगत करा दिया गया है डीएम ने दो सदस्यीय टीम गठित की है। जिससे दोबारा ऐसी पुनरावृत्ति न हो सके।