स्थानीय सांसद एवं कांग्रेस नेता सोनिया गांधी मंगलवार को जिले में आ रही है। बुधवार को उन्हें जिला विकास समन्वय एवं अनुश्रवण समिति की बैठक में शामिल होना है। उनके कुछ ऐसे लोगों ने पार्टी छोड़ देने का पूरा मन बना लिया है, जिसे जिले के कांग्रेस के लोग एक अलग सम्मान देते थें क्योंकि उन्होंने कांग्रेस को विधायक, जिलापचांयत अध्यक्ष दो बार बनाया और खुद दो बार कांग्रेस से एमएलसी रहे और वर्तमान में है। लेकिन अचानक कांग्रेस में उनके बीच क्या मामला हुआ है, जिससे पार्टी छोड़ने पर मजबूर हो गये है। जब इस बारे में कुछ पूछना भी चाहा, तो हंस कर टाल गए और आगे जो भी होगा उस पर हम अपने समर्थकों से बातचीत करके आगे का निर्णय बताएंगें। ऐसे में संगठन को होने वाले नफा-नुकसान का आंकलन भी गांधी परिवार को करना होगा, क्योंकि 2019 का लोकसभा का चुनाव नजदीक आ रहा है।
सोनिया गांधी अपने संसदीय क्षेत्र में काफी दिनों से नहीं पहुंच सकी थीं। इसके पीछे भी उनका स्वास्थ्य खराब होना मुख्य कारण बताया जा रहा था। इसके पहले 24 फरवरी को ही आना था। इसको लेकर प्रशासन ने सारी तैयारियां हो चुकी थी, लेकिन रात में अचानक उनका दौरा रद्द कर दिया गया था। इस बार प्रशासन ने उन कार्यों की सूची और सभी योजना भी तय कर ली है। इसको सांसद के हाथों से मूर्तरुप दिलवाना है। राजनीतिक क्षेत्र में सांसद की इस यात्रा को जनता और कार्यकर्ता अलग अलग देख रहे है। कांग्रेस में मजबूरी भी बताया जा रहा है क्योंकि कांग्रेस के गढ़ में गांधी परिवार के करीबी रहे एमएलसी दिनेश सिंह बागी तेवर होने से भाजपा में नया घर तलाश चुके है। 21 अप्रैल को यह परिवार भगवा चोला और भगवा झंडा थाम लेगा। उनके जाने से लाभ-हानि का भी गांधी परिवार आंकलन कर सकता है।
कुछ दिनों में नयी पार्टी में शामिल रायबरेली यूं तो गांधी परिवार के रिश्तों से खासी जुड़ाव वाली है। लेकिन यहां के दो लोग ऐसे रहे है जो कांग्रेस पार्टी की विजय पताका पहराने में सबसे आगे और अहम रोल अदा करते नजर आये है। लेकिन इधर पंचवटी के नाम से प्रसिद्ध रहे परिवार को अचानक बीते एक वर्ष से ऐसा क्या माहौल बना कि उनकी कांग्रेस के अन्दर खटपट नजर दिखने लगी, जिससे कुछ समाचार पत्रों में भी इस झगड़े की सूचनायें आम जनता को सुनने और पढ़ने को मिलने लगी। इसके पहले भी एक बार खबर आ चुकी थी कि यह पार्टी छोड़ सकते है। लेकिन उस समय कांग्रेस के किसी उच्च हाईकमान के द्धारा आपस में समझौता करा दिया गया था। लेकिन इसके बावजूद मामला दोबारा तूल पकड़ लिया और अब पूरी तरह से लग रहा 4-5 दिनों में नयी पार्टी में शामिल होने की सम्भावना है।
हो सकती है खटपट इसका कारण कांग्रेस से रहे पूर्व विधायक के परिवार के एक सदस्य का कांग्रेस में शामिल होना साथ ही जनता द्धारा उनको चुनकर लाना भी एक खटपट की बात हो सकती है। ऐसा इसलिए कांग्रेस लगातार उनकों आगे-आगे प्रत्येक कार्यक्रमों में लाना इनकी लिए ऐसा प्रतीत होने लगा हो कि मेरा कद जिले में कम होता नजर आ रहा है। ये भी पार्टी छोड़ने का कारण हो सकता है।
यह नजारा देख दूसरा खेमा काफी नाराज हो चुका है। मनचाही बात न बनी तो उन्होने पार्टी को छोड़ देना ही बेहतर समझा। सांसद को न सब बातों की खबर है। लोग चुनाव से पहले संगठन को कैसे मजबूती देकर किला को मजबूत बनाए रखना होगा । इसकी अन्दर की रचना भी मैडम के इस दौरे में बनेगी। सकी तैयारियों में कांग्रेस नेता भी जुट गए है।
पहली दफा बैठक में बैठेंगे राहुल गांधी क्या कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी अनुश्रवण समिति की बैठक में भाग लेगें अगर वह इस समिति में भाग लेते है, तो यह रायबरेली में पहली बार होगा। इससे पहले वह इस बैठक में कभी भाग नही लिया है। जबकि प्रियंका वाड्रा गांधी ने तो भाग लिया है क्योंकि वह रायबरेली जिले में कांग्रेस के कार्यो की प्रभारी भी बनाई गई है। लेकिन राहुल गांधी जी पहली दफा बैठक में बैठेगें। जब इस विषय पर जिला अध्यक्ष वीके शुक्ला से पूछा, तो उन्होंने यह बताया कि अध्यक्ष या सह अध्यक्ष का आना जरुरी है।
जिला विकास समन्वय एवं अनुश्रवण समिति की बैठक अब त्रैमासिक होने लगी है। इस बैठक की अध्यक्षता स्थानीय सांसद को ही करनी होती हैं। अगर किसी जिले में दो सांसदों के क्षेत्र आते है, तो वहां अधिकांश विधानसभा क्षेत्रों को कवर करने वाले सांसद को अध्यक्ष व कम विस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले सांसद को सहअध्यक्ष बनाया जाता है। कतिपय हालात में बैठक की अध्यक्षता सह अध्यक्ष भी कर सकता है। लेकिन सामान्य दशा में ऐसी बैठक की अध्यक्षता लोकल सांसद को ही करनी होती है। रायबरेली में इस बैठक का कोरम पूरा करने को सांसद सोनिया गांधी को आना जरुरी भी है।