दिल्ली उपायुक्त से शिकायत कर कार्रवाई की मांग पत्र के मीडिया में आने के बाद सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता अग्रवाल ने नई दिल्ली रेंज के पुलिस उपायुक्त के पास शिकायत दर्ज कराकर इस मामले में सोनिया गांधी, कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम और अन्य अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर कार्रवाई करने की मांग की है। उन्होंने अपनी शिकायत में लिखा है कि मीडिया में जो पत्र आया है, उसमें कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी (जो उस वक्त राष्ट्रीय विकास परिषद की अध्यक्ष थीं और उन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा प्राप्त था) ने तत्कालीन वित्त मंत्री पी. चिदंबरम को एक पत्र लिखा, जिसमें कथित रूप से तहलका मैगजिन के संपादक तरुण तेजपाल को राहत देने का उल्लेख था। यह पत्र सितंबर 2004 में लिखा गया था।
छह दिन के अंदर ही बंद हो गई थी फाइल मीडिया रिपोर्टों के अनुसार पत्र लिखने के छह दिन बाद फस्र्ट ग्लोबल पर चल रही जांच को बंद कर दिया गया। सोनिया गांधी ने पी. चिदंबरम को निर्देश दिए थे कि तहलका मामले को सुलझाने को प्राथमिकता दी जाए, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि इस मामले में किसी भी प्रकार का अनुचित या गैर कानूनी कार्य नहीं किया गया है। इस पत्र के लिखे जाने के चार दिन बाद ही संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार ने एक मंत्री समूह गठित किया था। समूह के गठन के दो दिन बाद ही फस्र्ट ग्लोबल पर चल रही जांच को बंद कर दिया गया। इस प्रकार पत्र की प्राप्ति के छह दिन के अंदर ही पूरे मामले को समाप्त कर दिया गया था।
सोनिया ने ठुकराया था पीएम पद बता दें कि मई 2004 में लोकसभा के चुनावी नतीजे आने के बाद कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी, लेकिन सोनिया गांधी ने तब प्रधानमंत्री का पद ठुकराकर वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री बनवाया था, लेकिन माना जाता रहा है कि पीएम ना रहते हुए भी सारी पॉवर सोनिया गांधी के ही पास थी।