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बेलगाम दरोगा ने दम्पति की जोरदार की पिटाई, पीड़ित पहुंचे एसपी की चौखट पर

locationरायबरेलीPublished: Jul 13, 2018 06:17:56 pm

Submitted by:

Mahendra Pratap

बेलगाम दरोगा ने गर्भवती महिला की पिटाई की।

pregnant woman beaten by Daroga in raebareli up

बेलगाम दरोगा ने दम्पति की जोरदार की पिटाई, पीड़ित पहुंचे एसपी की चौखट पर

रायबरेली. यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आदेश व पुलिस मुख्यालय द्वारा आम जनता के साथ दोस्ताना व्यवहार से पेश आने के आदेशों को लेकर थानों में तैनात बेलगाम दरोगा मानने को बिल्कुल भी तैयार ही नहीं है। जिले के अलग अलग थानों में तैनात दरोगाओं के अजीब कारनामे प्रकाश में आये हैं। जिन्हें लेकिन पीड़ित एसपी की चौखट का रुख अपनाया है, हालांकि बेलगाम पुलिस कर्मियों की शिकायत पुलिस मुख्यालय सेंटर पर आए दिन आती रहती है लेकिन कड़ी कार्रवाई न करने का परिणाम यह है कि थानों में तैनात पुलिसकर्मी सुधारने के बजाय उल्टा पीडितों के साथ उत्पीड़न जैसा व्यवहार करते हैं।

यह है पूरा मामला

पहला मामला थाना बछरावां क्षेत्र का है जहां चेकिंग के दौरान एक दरोगा ने गर्भवती महिला की पिटाई कर देता है। मामला मीडिया के संज्ञान में आते ही पुलिस अधीक्षक मेडम उसे लाइन हाजिर कर देती हैं, दूसरा मामला थाना लालगंज क्षेत्र के सातनपुर का है जहां की निवासिनी निर्मला पत्नी बुधुन ने पुलिस अधीक्षक को शिकायती पत्र देते हुए अवगत कराया है कि उसकी जमीनी मामले में लालगंज थाने में तैनात दरोगा के डी के कनौजिया बगैर किसी महिला कांस्टेबल के रात लगभग 10: बजे उसके घर में घुसकर मारपीट कर तांडव करता है।

महिला का आरोप है कि उसके नाबालिग बच्चों को भी दरोगा नहीं बख्शता है, वहीं दूसरा मामला सलोन थाना क्षेत्र के कटरा मेरे ख्वाजा पुर का है जहां की वृद्ध महिला लक्ष्मी देवी अपने बूढ़े पति के साथ एसपी की चौखट पर पहुंचकर न्याय की गुहार लगाती है महिला का आरोप है कि उसका भी एक जमीनी मामला चल रहा है जिस मामले में राजकुमार नामक दरोगा एक पक्षीय कार्रवाई करते हुए उसके पति की पिटाई कर देता है जिससे उसका चश्मा टूट जाता है। यही नहीं वृद्ध महिला ने आरोप लगाया है कि दरोगा ने जातिसूचक गाली देकर कहा कि जब तक तुम एसपी से शिकायत करोगी तब तक तुम्हें किसी धारा में जेल भेज देंगे।

पुलिस द्वारा प्रताड़ित किए गए पीड़ितों का तांता

अब सवाल है कि जिस तरह से बेलगाम पुलिस कर्मियों की शिकायत लगातार कप्तान सुजाता सिंह की चौखट पर पहुंच रही हैं जिसमें अधिकतर पुलिस द्वारा प्रताड़ित किए गए पीड़ितों का तांता लगा रहता है। हालात ऐसे हैं जैसे बेलगाम दरोगाओं की जवाब देही तय ही न हो। कार्रवाई के नाम पर सिर्फ खाना पूर्ति होती है। पीड़ितों को उल्टा डांट फटकार कर दबिश देकर मामले को निपटाने का खेल स्थानीय थानों पर हो रहा है।

तो क्या कानून व्यवस्था धवस्थ चुकी है

रायबरेली में लगातार पुलिस द्वारा मनमानी से अंदाजा लगाया जा सकता है किस तरह रायबरेली की पुलिस चरमरा चुकी है। किसी भी अधिकारी की जवाबदेही तय नहीं है जिसका जैसे मन हो रहा है वैसे कर रहा है। पुलिस द्वारा लगातार एक पक्षीय कार्रवाई किसके इशारे पर की जाती है। इसकी भी पड़ताल होना अपने आप में जरूरी हो चला है। समझा जाए तो जरूरी यह भी हो जाता है आखिरकार पीड़ित किसी भी तरीके से पुलिस मुख्यालय पहुंचते हैं जहां पर वह मीडिया के समक्ष रूबरू होते हैं। अपनी परेशानी जाहिर करते हैं और ऐसा है नहीं कि रायबरेली पुलिस इससे अनजान हो तो सवाल उठते हैं।

ये हैं कुछ सवाल

1. क्या कप्तान के आदेश को ताक पर रखकर थानों में तैनात सिपाही और दरोगा मनमानी कर रहे हैं अगर कर रहे हैं तो वह किसके इशारे पर कर रहे हैं?

2. क्या थानों पर तैनात करने से पूर्व दरोगाओं की स्क्रीनिंग की जाती है जिससे सिर्फ उन्हीं दरोगाओं को थाने की जिम्मेदारी दी जाए जो इमानदार और जुझारू है और अपराध पर नियंत्रण प्रभावी ढंग से कर सके।

3. जिस तरह से बछरावां थाने में गर्भवती स्त्री से दरोगा द्वारा मारपीट कर दी गई क्या उससे मानव अधिकारों का जरा भी एहसास नहीं था?

4. सलोन थाने में तैनात दरोगा राजकुमार ने जिस तरह से वृद्ध दंपत्ति पर दबिश का इस्तेमाल किया और मुख्यालय आने से रोकने के लिए मारपीट की।

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