कवि पंकज प्रसून को मिला ‘उत्तर प्रदेश भाषा सम्मान-2020 इससे पहले उन्हें उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान से क्रमशः डॉ रांगेय राघव पुरस्कार-2014 एवम के एन भाल पुरस्कार-2017 से सम्मानित किया जा चुका है।
उन्होने बताया कि भाषा संस्थान का यह सम्मान उनके लिये विशेष महत्व रखता है क्योंकि यह उनके अब तक के समग्र लेखन के लिए मिला है। उत्तर प्रदेश भाषा संस्थान द्वारा दिया जाने वाला सर्वाधिक प्रतिष्ठित सम्मान
पंकज प्रसून की अब तक 7 किताबें प्रकाशित हो चुकी है।जनहित में जारी, द लंपटगंज, पंच प्रपंच, परमाणु की छांव में उनकी प्रमुख कृतियाँ हैं। उनका कविता संग्रह ‘परमाणु की छांव में’ एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में भी दर्ज है। उनका बहुप्रतीक्षित कविता संग्रह ‘लड़कियां बड़ी लड़ाका होती हैं’ हिन्द युग्म प्रकाशन से अगस्त तक प्रकाशित हो जाएगा।
इससे पहले पंकज प्रसून की कई कविताएं सोशल मीडिया पर वायरल हो चुकी हैं। प्रख्यात अभिनेता अनुपम खेर उनकी लिखी कविताओं को अक्सर अपनी आवाज़ में रिकॉर्ड करके सोशल मीडिया पर पोस्ट करते रहते हैं। उन्होने पिछले दिनों अपने पिता पुष्कर नाथ की 9 वीं पुण्य तिथि पर उनको पंकज प्रसून की कविता से याद किया था।पंकज प्रसून को जनवरी में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के ‘ इंटरनेशनल पोयट्री सिम्पोजियम’ में भी काव्य पाठ के लिए आमंत्रित किया गया था। लखनऊ विश्व विद्यालय के शताब्दी वर्ष समारोह में उनको साइनटेनमेन्ट की विशेष प्रस्तुति के लिए आमंत्रित किया गया था।
रायबरेली में आओ गांव बचाएं अभियान किया है शुरू पंकज प्रसून ने अप्रैल माह में कोविड से उबरने के बाद अपने गृह जनपद रायबरेली में आओ गांव बचाएं अभियान शुरू किया। जिसमें उन्होंने डॉ कुमार विश्वास, सोनू सूद, मालिनी अवस्थी, आलमबाग गुरुद्वारा व भारत विमर्श फाउंडेशन के सहयोग से उन्होने कुल 10 कोविड केयर एंड हेल्प सेन्टर्स की स्थापना की। जहाँ निः शुल्क दवा,ऑक्सीजन बेड, राशन व डॉक्टरी सलाह मुहैया कराई गई। वह अब तक 5 गांवों में काढ़ा कैफ़े भी खुलवा चुके हैं। जहां निः शुल्क आयुष का काढ़ा ग्रामवासियों को पिलाया जा रहा है। उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री डॉ दिनेश शर्मा ने पिछले दिनों रायबरेली दौरे में उनको जिला मुख्यालय बुलाकर उनके अभियान की सराहना की थी।