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आधुनिक रेल डिब्बा कारखाना ने फिर नया अविष्कार किया,निर्मित हयूमनॉइड रोबोट ’सोना 1.5’ का परीक्षण किया

locationरायबरेलीPublished: Nov 19, 2019 01:08:02 pm

Submitted by:

Madhav Singh

रायबरेली के आधुनिक रेल डिब्बा कारखाना ने फिर नया अविष्कार किया,निर्मित हयूमनॉइड रोबोट, सोना 1.5 का परीक्षण किया
 

आधुनिक रेल डिब्बा कारखाना ने फिर नया अविष्कार किया,निर्मित हयूमनॉइड रोबोट ’सोना 1.5’ का परीक्षण किया

आधुनिक रेल डिब्बा कारखाना ने फिर नया अविष्कार किया,निर्मित हयूमनॉइड रोबोट ’सोना 1.5’ का परीक्षण किया

रायबरेली . आधुनिक रेल डिब्बा कारखाना आधुनिकता के क्षे़त्र में नित्य नये आयाम स्थापित कर रहा है । ऐसा ही आरेडिका में clubfirst Automation द्वारा निर्मित हयूमनॉइड रोबोट ’सोना 1.5’ का परीक्षण किया गया। यह पूर्ण रुप से भारत मे बनाया गया सर्विस रोबोट है।इस रोबोट का उपयोग आधुनिक रेल डिब्बा कारखाना मे फाईलों अथवा किसी भी प्रकार के दस्तावेजों को एक जगह से दूसरे जगह ले जाने के लिए किया जा सकेगा। आगंतुकों का स्वागत, तकनीकी बातचीत एवं तकनीकी अथवा अन्य प्रकार के प्रशिक्षण में भी यह उपयोगी साबित हो होगा। यह विश्व का पहला रोबोट है जिसमें मनुष्य जैसी स्पाइन टेक्नोलॉजी है। यह स्पाइन टेक्नोलॉजी के कारण रोबोट बैलेंस कर पाते है।सोना 1.5 की डिजाइन मौजूदा रोबोट डिजाइनों से काफी यूनिक है। यह रोबोट नेविगेशन व मैपिंग पर आधारित है और इसके चलते यह अन्य रोबोट से काफि बेहतर है। इंसानों की तरह से राबोट सेंसर की मदद से खुद नेविगेट करते हुए अपना रास्ता स्वयं बनाते है और टारगेट तक पहुॅचते है। यह नेविगेशन एल्गोरिथ्म club first Automation द्वारा डेवलप किया गया है। इसमे स्पाइन टेक्नोलॉजी होने के कारण रोबोट खुद को बैंलेंस कर पाते है। ये रोबोट आर्टिफिशियल इंटेललीजेंस, आईओटी और एसएलएम तकनीक का उपयोग करके तैयार किए गए है। सर्वर के कमांड मिलने पर ये रोबोट सबसे पहले अपने लिए छोटे रास्ते का मैप तैयार करते है। ये किसी भी फर्श या फ्लोर पर आसानी से चल सकता है। इसे वाई-फाई सर्वर के जरिये लैपटॉप या स्मार्ट फोन से भी चलाया जा सकता है। ऑटो नेविगेशन होने से इसे अंधेरे में भी चलाया जा सकता है। इस रोबोट कि सबसे खास बात यह है कि इसमें ऑटो डॉकिंग प्रोग्रामिंग की गई है, जिससे बैटरी डिस्चार्ज होने से पहले ही खुद चार्जिंग प्वाइंट पर जाकर आटो चार्ज हो जाता है। इस रोबोट में विजन, अल्ट्रासॉनिक, टच, लेजर व हीट जैसे हाई टेक्नीकल सेंसर होने के कारण रात में भी देख सकता है।

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