इंदिरागांधी की आईटीआई कारखाने के सपने को केन्द्र की मोदी सरकार कर रही पूरे रायबरेली में इंदिरा गांधी ने 1973 के समय में आईटीआई फैक्ट्री रायबरेली और अमेठी की जनता के लिए एक नया रोजगार का साधन उपलब्ध कराने की एक मिशाल पेश की थी साथ ही यह एक नई किरण लेकर भी आई थी। लेकिन धीरे धीरे इस फैक्ट्री की हालत बिगड़ती चली गई। लेकिन आज की स्थिति में आईटीआई की स्थिति थोड़ी सुधरती नजर आ रही है। लेकिन आज इस फैक्ट्री के कर्मचारियों में काफी कमी आई है। उसका कारण यहां के कर्मचारियों को बीआरएस दे दिये जाने से काफी कमी आ गई है। लेकिन अब कुछ प्राईवेट कर्मचारियों को भर्ती करके काम फिर से चालू हो चुका है।
रायबरेली के आईटीआई फैक्ट्री के महाप्रबन्धक ने बताया रायबरेली आईटीआई के जीएम विपिन बिहारी सिंह ने बताया कि हमारे यहां सभी रेगुलर एम्पलाई हैं कोई कांट्रैक्ट लेबर नहीं है कुछ आउटसोर्सिंग कर्मचारी काम कर रहे हैं। हमारे यहां कुल 800 एंपलाई हैं। कुछ कर्मचारी 3 साल के लिए बुलाए गए हैं। रिटायरमेंट होने वाले कर्मचारियों की जगह इन्हें स्थाई कर दिया जाएगा। सैलरी के अलावा मेडिकल सुविधाएं भी आईटीआई में मिलती है। पीजीआई, केजीएमसी, आईटीआई एम्पलाई को उपचार की सुविधा मिलती है। इसके अतिरिक्त फातिमा इंदिरा गांधी आई हॉस्पिटल सहित अन्य अस्पतालों में पूरी सुविधा मिलती है। आईटीआई का भविष्य उज्जवल है और बहुत आगे तक जाएगी। इसका प्रमाण है पिछले 3 सालों का प्रोडक्शन कई क्षेत्रों में करोड़ों में हुआ है और भविष्य में भी होगा देश के सभी आईटीआई का भविष्य उज्जवल है।
आईटीआई की पिछले 10 से 15 सालों में हालत काफी थी खराब आईटीआई की पिछले 10 से 15 सालों में हालत काफी खराब थी, लेकिन पिछले 3 सालों से रिवाइवल के पथ पर है। 50 इंजीनियर और 25 डिप्लोमा होल्डर कार्य कर रहे हैं। हम लोगों को काम काफी मिल रहा है गवर्नमेंट के ओपन टेंडर में जाना पड़ता है। मिनिस्ट्री ऑफ कम्युनिकेशन आईटीआई के लिए 30 प्रतिशत कोटा फिक्स किया है। जो हमें रेट पर करना पड़ता है। इसके अतिरिक्त एसएमपीएस के साथ भारत नेट का भी काम किया जा रहा है, हम लोगों का प्रयास है कि अधिक से अधिक काम लेकर आए इसके लिए गवर्नमेंट का भी हम लोगों के ऊपर प्रेशर है। आईटीआई में ओएफसी का काम चल रहा है। इसके साथ ही एचडीपीडक बनाने का भी काम चल रहा है।
टेलीकॉम से जुडी चार महत्वपूर्ण प्रोडक्ट बनाये जा रहे जिस पर दिसंबर माह से काम चल रहा है इसे 12 सौ किलोमीटर पर महीने बना रहा है। जिसको बढ़ा कर 3 हजार किलोमीटर प्रति माह करने का लक्ष्य है। यहां टेलीकॉम से जुडी चार महत्वपूर्ण प्रोडक्ट बनाये जा रहे हैं। रायबरेली का भविष्य बहुत ही स्ट्रांग है। जरूरत के हिसाब से भर्तियां होंगी। भर्ती में 10 प्रतिशत रायबरेली के लोगों को जगह मिलती है। एक सवाल के जवाब ने महाप्रबंधक ने कहा कि 3 साल पहले बंदी की कगार पर चुकी थी लेकिन आज आईटीआई मजबूती स्थिति में है।सभी आईटीआई के पास वर्क आर्डर काफी हैं। वर्किंग कैपिटल की समस्या है काम की कोई कमी नहीं है आने वाले समय में आईटीआई टेलीकम्युनिकेशन क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगी। वर्किंग कैपिटल की समस्या दूर करने के लिए आईटीआई का एपीओ भी आया था। लेकिन किसी कारणवश फेल हो गया। इस वर्ष फिर से एपीओ लाने का प्लान है। इस महीने के अंत तक पूरे आईटीआई का रिजल्ट निकलने वाला है।
रायबरेली के आईटीआई श्रमिक संघ के महामंत्री ने बताया रायबरेली के आईटीआई श्रमिक संघ के महामंत्री आशीष सिंह ने बताया कि फैक्ट्री की हालत में थोड़ा बहुत सुधार हुआ है। जबसे नये सीएमडी आये है तब से इस आईटीआई कारखाने को काम मिलने लगा है। जिससे कारखाने के कर्मचारियों की रोजी रोटी का सहारा हो गया है। इस फैक्ट्री में कुछ समस्यायें भी है। लेकिन महामंत्री ने भाजपा सरकार पर कई आरोप भी लगाये है।