एम्स में काम करने वाले मजदूरों ने जिलाधिकारी कार्यालय पहुँच कर की यह मांग जिलाधिकारी कार्यालय परिसर के बाहर खड़े ये मजदूर राज्य के कई हिस्सों से मेहनत मजदूरी करने रायबरेली के मुंशीगंज में निर्माणाधीन अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में मजदूरी करने के लिए आये थे और यंहा विभिन्न तरह के कार्य कर रहे थे।इसी बीच कोरोना संक्रमण के चलते लॉक डाउन घोषित हो गया।इन श्रमिको के हाथों से इनका रोजगार छिन गया।हद तो तब हो गई जब इनसे काम करा रहे ठेकेदार ने संस्थान से तो भुगतान ले लिए लेकिन इन बेचारों को इनकी मजदूरी नही दी। इनके सामने रोटी के लाले पड़ गए।इन्होंने जब ठेकेदार को फोन किया तो उसने इनको अपशब्द कहे।थक हार कर आज ये जिलाधिकारी से गुहार लगाने पहुँचे और अपनी मजदूरी दिलाये जाने की मांग की जिससे ये अपने घरों को वापस जा सके।
एम्स में प्रवासी मजदूरों का यह दूसरा मामला एम्स में यह दूसरा मामला प्रवासी मजदूरों का आया है क्योंकि यह प्रवासी मजदूर अलग-अलग प्रदेश के अलग-अलग जिलों से काम करने अपने बच्चों का पेट पालने के लिए एम्स में चल रहे काम में मजदूरी करते हैं, और शाम को वह मजदूरी लेकर अपने बच्चों का पेट का पालते हैं। लेकिन ठेकेदारों की गलती से यह मजदूर अपने बच्चों का पेट कैसे पालेंगे यह भी एक सोचने का विषय है, क्योंकि कुछ मजदूर अपनी मजदूरी इसलिए रोज नहीं लेते हैं क्योंकि रोज पैसा मिलने से खर्च हो जाता है इसलिए वह मजदूर या तो सप्ताह में या 15 दिन में लेते हैं, लेकिन मजदूरों का फायदा या ठेकेदार उठाते हैं इसलिये इस तरह के मामले सामने आते रहते है ।