scriptएम्स में काम करने वाले मजदूरों ने जिलाधिकारी कार्यालय पहुँच कर की यह मांग | The workers working in AIIMS reached the District Magistrate's office and demanded this | Patrika News

एम्स में काम करने वाले मजदूरों ने जिलाधिकारी कार्यालय पहुँच कर की यह मांग

locationरायबरेलीPublished: May 23, 2020 09:44:41 pm

Submitted by:

Madhav Singh

एम्स में काम करने वाले मजदूरों ने जिलाधिकारी कार्यालय पहुँच कर की यह मांग

एम्स में काम करने वाले मजदूरों ने जिलाधिकारी कार्यालय पहुँच कर की यह मांग

एम्स में काम करने वाले मजदूरों ने जिलाधिकारी कार्यालय पहुँच कर की यह मांग

रायबरेली . वीवीआइपी जिले में कुछ मजदूरों को ऐसी मांग करते हुए देखा गया जिसे इस लॉक डाउन में उम्मीद नहीं थी, जिलाधिकारी कार्यालय पर वह नारे लगा रहे थे। लॉकडाउन के चलते जंहा सरकार से लेकर सामाजिक संगठन प्रवासी श्रमिको के लिए भोजन पानी से लेकर उनकी अन्य तरह से मदद कर रहे है वही रायबरेली में संचालित एम्स के ठेकेदार द्वारा प्रवासी श्रमिको का दो माह से वेतन न दिए जाने से नाराज दर्जनों की संख्या में प्रवासी मजदूर डीएम कार्यालय पहुचे और वेतन दिलाये जाने की गुहार लगाई।
एम्स में काम करने वाले मजदूरों ने जिलाधिकारी कार्यालय पहुँच कर की यह मांग

जिलाधिकारी कार्यालय परिसर के बाहर खड़े ये मजदूर राज्य के कई हिस्सों से मेहनत मजदूरी करने रायबरेली के मुंशीगंज में निर्माणाधीन अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में मजदूरी करने के लिए आये थे और यंहा विभिन्न तरह के कार्य कर रहे थे।इसी बीच कोरोना संक्रमण के चलते लॉक डाउन घोषित हो गया।इन श्रमिको के हाथों से इनका रोजगार छिन गया।हद तो तब हो गई जब इनसे काम करा रहे ठेकेदार ने संस्थान से तो भुगतान ले लिए लेकिन इन बेचारों को इनकी मजदूरी नही दी। इनके सामने रोटी के लाले पड़ गए।इन्होंने जब ठेकेदार को फोन किया तो उसने इनको अपशब्द कहे।थक हार कर आज ये जिलाधिकारी से गुहार लगाने पहुँचे और अपनी मजदूरी दिलाये जाने की मांग की जिससे ये अपने घरों को वापस जा सके।
एम्स में प्रवासी मजदूरों का यह दूसरा मामला

एम्स में यह दूसरा मामला प्रवासी मजदूरों का आया है क्योंकि यह प्रवासी मजदूर अलग-अलग प्रदेश के अलग-अलग जिलों से काम करने अपने बच्चों का पेट पालने के लिए एम्स में चल रहे काम में मजदूरी करते हैं, और शाम को वह मजदूरी लेकर अपने बच्चों का पेट का पालते हैं। लेकिन ठेकेदारों की गलती से यह मजदूर अपने बच्चों का पेट कैसे पालेंगे यह भी एक सोचने का विषय है, क्योंकि कुछ मजदूर अपनी मजदूरी इसलिए रोज नहीं लेते हैं क्योंकि रोज पैसा मिलने से खर्च हो जाता है इसलिए वह मजदूर या तो सप्ताह में या 15 दिन में लेते हैं, लेकिन मजदूरों का फायदा या ठेकेदार उठाते हैं इसलिये इस तरह के मामले सामने आते रहते है ।
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