जिले के आंगनबाड़ी केंद्र के सफल संचालन, आंकड़ों के फर्जीवाड़े का खेल है। यह हम नहीं बल्कि महिला बाल विकास विभाग के अधीनस्थ अधिकारी की कार्यशैली बयां कर रही है। मामला पुसौर क्षेत्र के तड़ोला ग्राम पंचायत की है। जहां स्कूल पारा में संचालित आंगनबाड़ी केंद्र में पिछले कुछ माह से एक भी बच्चे नहीं है। पर विभागीय रिकार्ड में अभी भी उक्त केद्र में बच्चे, पठन-पाठन कर रहे हैं। यहीं वजह है कि विभाग के आला अधिकारी दावा कर रहे है कि जिले में ऐसा कोई केंद्र नहीं है, जो बगैर बच्चे के संचालित हो रहा है। पर तड़ोला जैसे कुछ अन्य केंद्रों में भी ऐसी स्थिति उत्पन्न होने की बात कही जा रही है। पर उसकी जानकारी संबंधित पर्यवेक्षक व परियोजना अधिकारी द्वारा जिले के आला अधिकारी को नहीं दी जाती है। जिसकी वजह से अधिकारी भी उक्त फर्जी आंकड़ों की मदद ऑल इज वेल का दम भर रहे हैं। पर जमीनी हकीकत कुछ और ही है।
होती है झूठी रिपोटिंग
नाम नहीं प्रकाशित करने की शर्त पर दो कार्यकर्ताओं ने बताया कि तड़ोला जैसे कई केंद्रों की यहीं स्थिति है। जिस केंद्र में वास्तविक में दो बच्चे है वहां दर्ज संख्या के हिसाब से हमेशा ही १० बच्चों की रिपोर्टिंग की जाती है। जिससे केंद्र में बच्चों की मौजूदगी, अधिकारियों की नजर में हमेशा ही बनी रहे। शायद यहीं वजह है कि इन फर्जी आंकड़ों की बदौलत अधिकारी को भी गुमराह करने की कोशिश की जाती है।
आंगनबाड़ी को हाईजेक कर रहे हैं प्ले स्कूल
तड़ोला की कार्यकर्ता चमेली पटेल व सहायिका मोहनमति की माने तो उनके केंद्र में पहले बच्चों की दर्ज संख्या बेहतर थी। पर पास के गांव में बच्चों का प्ले स्कूल खुल गया है। जो गांव गांव मेंं घुम कर बच्चों के नामांकन को लेकर संबंधित परिजनों को प्रेरित कर रहे हैं। विभागीय अधिकारी भी इस बात को स्वीकार कर रहे हैं कि प्ले स्कूल की वजह से आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों की दर्ज संख्या में तेजी से गिरावट आई है।