इसका नतीजा यह हुआ कि ये पानी निगम परिसर में भरता हुआ आयुक्त के बंगले में भी घुस गया इसके बाद निगम कालोनी के कई कर्मचारियों के घर में घुसा, जिससे लोगों को काफी परेशानी हुई। वहीं टंकी के ठीक नीचे बने बिजली विभाग के दफ्तर में भी पानी घुस गया। इससे बिजली विभाग का कामकाज पूरी तरह से ठप रहा।
शहर के विभिन्न क्षेत्रों में पानी आपूर्ति के लिए नगर निगम परिसर में पीली टंकी बनाई गई है।
शहर के विभिन्न क्षेत्रों में पानी आपूर्ति के लिए नगर निगम परिसर में पीली टंकी बनाई गई है।
इसकी क्षमता करीब 25 लाख लीटर है। सोमवार की दोपहर पानी शहर के विभिन्न क्षेत्रों में पानी आपूर्ति करने के लिए टंकी को भरा गया था। वहीं जब निगम कर्मचारी आपूर्ति करने के लिए यहां पहुंचे तो वाल्व जाम होने की वजह से नहीं खुला।
काफी प्रयास के बाद भी जब वाल्व नहीं खुला तो उसे ऐसे ही छोड़ दिया गया। इसके बाद सुबह फिर निगमकर्मी उक्त टंकी के नीचे पहुंचे और वॉल्व खोलने का प्रयास करने लगे, लेकिन वाल्व जाम होने की वजह से पहले तो खुला नहीं जब ज्यादा जोर दिया गया तो वह स्लिप हो गया और पानी का फव्वारा छूटने लगा।
बताया जाता है कि सोमवार की शाम वाल्व स्लीप होने के भय से ही वाल्व में सुधार नहीं किया गया था। क्योंकि देर शाम यदि वॉल्व स्लीप होता तो निगम के अधिकारियों के साथ लोगों को ज्यादा परेशानी झेलनी पड़ती। इधर पानी का फव्वारा छूटते ही वाल्व को और खोला गया। इससे पानी तेज रफ्तार से बाहर निकलने लगा।
इस पानी के निकासी के लिए दो रास्ते हैं। एक नगर निगम के कालोनी से होते हुए नाली में जाना और दूसरा निगम कार्यालय के मुख्य द्वार की ओर से बहते हुए निकालना ऐसे में पानी जब तेज रफ्तार से बाहर निकला तो पहले ठीक टंकी के नीचे बने बिजली विभाग के पास पानी भरा।
इससे बिजली विभाग का कामकाज पूरी तरह से चौपट हो गया। वही इसके बाद निगम कालोनी होते हुए आयुक्त बंगले तक पानी पहुंचा। पानी का रफ्तार तेज होने के साथ कालोनी में निगम अधिकारियों के घरों में भी घुसा। इससे निगम के अधिकारियों को परेशान होते देखा गया। इधर देर शाम टंकी का पानी खाली होने के बाद वाल्व में सुधार कार्य किया गया।
इस टंकी को भरने में लगते हंै आठ घंटे
नगर निगम के अधिकारियों की माने तो इस पानी टंकी की क्षमता करीब 25 लाख लीटर है। ऐसे में निगम के द्वारा इस टंकी में पानी भरने के लिए 150 एचपी का मोटर उपयोग किया जाता है। इस मोटर को लगातार आठ घंटे चलाया जाता है, तब जाकर यह टंकी भर पाती है। इसके बाद शहर के विभिन्न क्षेत्रों में पानी की आपूर्ति की जाती है।
-पानी टंकी के नीचे लगा वाल्व स्लिप हो गया। इससे टंकी का पानी बहाना पड़ा। ताकि वाल्व का मरम्मत किया जा सके। वाल्व में सुधार के बाद लोगों को पानी आपूर्ति की जाएगी।
-रामकृष्ण खटर्जी, एमआईसी सदस्य