किस बात का गुस्सा
प्रभावित किसानों का आरोप है कि एनटीपीसी में उनकी जमीन चली गई है, उनके रोजगार के साधन खत्म हो गए हैं इसके बाद भी कंपनी की ओर से रोजगार नहीं दिया जा रहा है। आरोप यह भी लगाया जा रहा है कि जब भी रोजगार की मांग की जाती है तब कंपनी और प्रशासन की ओर से नया बखेड़ा खड़ा कर दिया जाता है। इसके कारण परेशान होकर प्रभावित किसानों ने कोर्ट का सहारा लिया है। पिछले छह से सात साल से इनकी हालत खराब है पर न तो कंपनी कुछ कर रही है और न ही प्रशासन कुछ कर रहा है। वहीं किसानों की हालत खराब है।
पहले भी अनोखे तरीके से कर चुके हैं विरोध
इससे पहले भी प्रभावित किसानों की ओर से जिले में लूंगी रैली निकाली जा चुकी है जिसमें अर्धनग्न अवस्था में किसानों ने अपने परेशानी लोगों के सामने रखी थी। आज भी उनकी समस्या वहीं की वहीं है जहां कई साल पहले थी। किसान इस मामले में जिला प्रशासन पर पक्षपात का आरोप लगा रहे हैं।