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फर्जीवाड़ा : मौत से छह साल पहले ही रिटायर्ड फौजी को मृत बता जमीन करा ली अपने नाम

locationरायगढ़Published: Aug 13, 2017 01:40:00 pm

Submitted by:

Shiv Singh

रिटायर्ड फौजी को सरकार की ओर से आवंटित जमीन को हड़पने के लिए कुछ लोगों ने पंचायत के साथ मिलकर उसकी मौत के 6 साल पहले उसे मार दिया।

आवंटित जमीन को हड़पने के लिए कुछ लोगों ने पंचायत के साथ मिलकर उसकी मौत के 6 साल पहले उसे मार दिया।

रिटायर्ड फौजी को सरकार की ओर से आवंटित जमीन को हड़पने के लिए कुछ लोगों ने पंचायत के साथ मिलकर उसकी मौत के 6 साल पहले उसे मार दिया।

रायगढ़. रिटायर्ड फौजी को जीविकोपार्जन के लिए सरकार की ओर से आवंटित जमीन को हड़पने के लिए कुछ लोगों ने पंचायत के साथ मिलकर उसकी मौत के 6 साल पहले उसे मार दिया। हालांकि ये सब कागजों में हुआ।
रिटायर्ड फौजी को जीवित अवस्था में कागजों में मृत दिखाते हुए उसको आवंटित 3 एकड़ जमीन को अपने नाम कर विक्रय कर दिया गया। चूंकि इस मामले में धनाढ्य वर्ग के लोग और पूरा पंचायत संलिप्त हो गया है इसलिए अब इस मामले में जांच नहीं हो रही है और वास्तविक वारिश सरकारी कार्यालयों के चक्कर काट रहा है।

धोबीपारा निवासी शिवा बरेठ पिता सोहन बरेठ द्वारा कलेक्टर को दिए गए एक आवेदन में बताया है कि उसके दादा मंगल बरेठ फौजी थे ओर रिटायर्ड होने के बाद अपने पुत्र सोहन बरेठ के साथ धोबीपारा में रह रहे थे। जिनको वर्ष 1977-78 में सरकार की ओर से ग्राम भुईंयापाली में खसरा नंबर 296/12 में करीब 3 एकड़ भूमि जीविकोपार्जन के लिए आवंटित किया गया।
जिसके बाद वर्ष 2000 में उनकी तबीयत बिगडऩे से इलाज के दौरान मौत हो गई। लेकिन उक्त जमीन को राजेंद्र प्रसाद के द्वारा 1994 में रिटायर्ड फौजी को मृत बताते हुए अपने को उसका वरिशान बताते हुए अपने नाम करा लिया गया और रायगढ़ इंटरप्राजेस के प्रोपराईटर प्रमोद अग्रवाल के पास उसे विक्रय कर दिया गया।

जबकि उक्त वर्ष में रिटायर्ड फौजी मंगल बरेठ जीवित था। इसके बाद रिटायर्ड फौजी के पुत्र सोहन की भी मौत 2009 में हो गई। इसके बाद मंगल बरेठ के पोता शिवा को जब जमीन की जानकारी हुई तो उसने पता-साजी किया तो पता चला कि राजेंद्र प्रसाद ने अपने आपको वारिश बताते हुए उसके दादा के मौत के पहले ही उसे अपने नाम कराते हुए विक्रय कर दिया है।

जिस पर उसने संबंधित जमीन के रिकार्ड खंगालना शुरू किया। अपने ही हक के जमीन का रिकार्ड निकालने में साल भर से अधिक समय लग गया। ओर जब दस्तावेज सामने आए तो उसके होश उड़ गए। इसकी शिकायत जब उसने संबंधित कार्यालयों में किया तो न तो किसी प्रकार की जांच हुई न ही कोई कार्रवाई।

कलेक्टर से भी हो चुकी है शिकायत– इस मामले में शिवा ने कलक्टर को पूरे दस्तावेजों के साथ शिकायत कर मामले की जानकारी दी थी जिस पर कलक्टर ने एसडीएम न्यायालय में जाने कहा था। जिस पर इस मामले में एसडीएम कोर्ट में शिकायत दर्ज कराते हुए प्रकरण दर्ज करने आवेदन किया गया है।

क्या कहता है नियम– नियमानुसार देखा जाए तो उक्त आवंटित जमीन में वारिश के रूप में रिटायर्ड फौजी के पुत्र सोहन बरेठ का नाम आना था, लेकिन उसकी मौत हो जाने के कारण अब उसके पुत्र शिवा और उसकी मां के नाम होना चाहिए। जिसके लिए मांग किया जा रहा है लेकिन अभी तक कुछ नहीं हुआ है।

उठ रहे हैं कई सवाल
आश्चर्य की बात तो यह है कि आवंटित जमीन नियमानुसार बिक्री नहीं हो सकता है। इसके बाद भी शासकीय रिकार्ड में यह प्रमोद अग्रवाल के नाम पर दिखा रहा है। अब सवाल यह उठ रहा है कि शासकीय अभिलेख में नियमों के विपरित उक्त नाम परिवर्तित कैसे हो गया।

रजिस्ट्री को लेकर बना हुआ है संशय– हालांकि यह कहा जा रहा है कि संबंधित जमीन का विक्रयनामा निष्पादित कर रजिस्ट्री की गई है, लेकिन जब संबंधित आवेदक ने इस जमीन की हुई रजिस्ट्री के बारे में संबंधित विभाग से जानकारी मांगी तो फिलहाल किसी प्रकार का दस्तावेज नहीं मिला है। जिससे रजिस्ट्री हुई है या नहीं यह भी स्पष्ट नहीं हो रहा है।

रिटायर्ड फौजी की बदल दी गई जाति– जमीन को लेने के लिए रिटायर्ड फौजी की जाति भी बदलने का बात सामने आ रही है। रिटायर्ड फौजी का नाम सरकारी रिकार्ड में मंगल बरेठ है जिसे गांव में मंगलु के नाम से जाना जाता था। जमीन को अपने नाम करवाने के लिए पेश किए गए पंचनामा रिपोर्ट में उसका नाम मंगलु पिता अईंठा जाति गांड़ा कर लिखा गया है
जबकि जमीन पर दावा करने वाले वारिश उसके पोते ने बताया कि वह बरेठ लिखते थे। चूंकि राजेंद्र चौहान है इसलिए अपना रिश्तेदार बनाने के चक्कर में रिटायर्ड फौजी का जाति और पिता का नाम बदलकर पंचनामा बनाया गया और इसी आधार पर सरकारी रिकार्ड में जमीन को अपना नाम दर्ज कराते हुए उसे विक्रय करने की बात कही जा रही है।
आश्चर्य की बात तो यह है कि पंचनामा रिपोर्ट में राजेंद्र चौहान द्वारा क्रिया कर्म के लिए इलाहाबाद जाना बताया गया है जबकि आवेदक ने बताया कि उसकी मौत के बाद क्रिया कर्म उसके पुत्र सोहन के द्वारा किया गया है।
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