scriptकोल डीपो की आड में चल रहा कोयले का काला खेल | Coal black game running under the guise of Coal Depot | Patrika News

कोल डीपो की आड में चल रहा कोयले का काला खेल

locationरायगढ़Published: May 24, 2022 08:59:02 pm

Submitted by:

CHUDAMADI SAHU

आता है फ्रेश कोयला और चूरा लोड होकर होता है रवानाचोरी का माल भी खप रहा, विभागीय अधिकारी साधे चुप्पी

raigarh

कोल डीपो की आड में चल रहा कोयले का काला खेल

रायगढ़. जिले के तीन ब्लाक में कोयला की भरमार है। यहां अवैध तरीके से कोयला का खनन किया जा रहा। इसके अलावा कोल डीपो की आड़ में भी कोयले का काला खेल चल रहा है। कोल डीपो में फ्रेश कोयला लेकर वाहन आता है और जब वहां से वाहन रवाना होता है तो उसमें कोयला की जगह छाई मिक्स रहती है। इसके अलावा कोल डीपो ेमें चोरी का कोयला भी व्यापक पैमाने पर खप रहा है। इस अवैध कारोबार को लेकर विभागीय अधिकारी भी चुप्पी साधे हैं।
पड़ोसी जिला कोरबा में पिछले दिनों कोयला चोरी का मामला खूब उछला। इसी तरह कोयला की चोरी जिले के भी विभिन्न स्थानों में हो रही है। इसके लिए घरघोड़ा, लैलूंगा, धरमजयगढ़ ब्लाक के विभिन्न जगहों अवैध रूप से कोयला खनन करने के लिए प्वाइंट बनाए गए हैं। वहीं व्यापक पैमाने पर कोयला का अवैध कारोबार कोल डीपो के माध्यम से किए जाने की बात सामने आ रही है। सूत्रों की माने तो अंबिकापुर से आई एक पार्टी यहां कोल डीपा लीज पर लेकर संचालित कर रही है। यह पार्टी डीपो की आड़ में अवैध रूप से कोयला तस्करी कर रही है। बताया जा रहा है कि कोल डीपो में प्रोसेसिंग के लिए कोयला जाता है। जाते समय वाहन सहित कोयला की तैलाई होती है। इस समय वाहन में फ्रैश को ताप युक्त कोयला रहता है। वहीं जब डीपो से वाहन रवाना होती है तो उसमें काफी मात्रा में छाई मिलावट कर भेजे जाते हैं। यही नहीं इसके अलावा अवैध रूप से चोरी उत्खनन किए गए कोयला भी उक्त डीपो में खप जाती है।
सत्यापन का अभाव
कोल डीपो का निर्धारित समय में सत्यापन करना होता है, ताकि वहां कोयले की उपलब्धता और कोयला डिस्पैच की जानकारी मिल सके, लेकिन विभाग के द्वारा सत्यापन नहीं किया जाता। ऐसे में यह सवाल उठ रहा है कि विभागीय अधिकारियों के संरक्षण से ही इस तरह कोयले का काला खेल चल रहा है। हालांकि विभागीय अधिकारी इससे इंकार कर रहे हैं।
एक डीपो में मिली थी व्यापक गड़बड़ी
विभागीय नियम के अनुसार तय समय में कोल डीपो का भौतिक सत्यापन करना होता है, जिम्मेदार अधिकारियों को इसके लिए समय ही नहीं मिलता। हालांकि विभागीय अधिकारी यह कहते हैं कि समय-समय पर जांच होती है, लेकिन यह समय बड़ी मुश्किल से ही आ पाता है। कोरोना काल के पहले एक कोल डीपो में जांच की गई थी। उसमें व्यापक गड़बड़ी मिली थी। इसके बाद उक्त गड़बड़ी पर कार्रवाई भी नहीं हो सकी।
वर्सन
नियमित रूप से जांच की जाती है। यदि इस प्रकार से कोल डीपो में गड़बड़ी की जा रही है तो इसकी जांच कराई जाएगी।
बीके चंद्राकर, उप संचालक, खनिज विभाग
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