ब्लाक मुख्यालयों में शासकीय भवनों की बात ही दूर है। सबसे बड़ी बात तो यह है कलक्टोरेट में बने वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम टूटकर जर्जर हो चुके हैं। इसे जर्जर हुए दो से तीन साल हो गए लेकिन अभी तक इसको ठीक नहीं कराया गया है जिसके कारण उक्त वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम से जल संचय का काम नहीं हो पा रहा है। इसी तरह से और कई विभााग है जिनके बड़े-बड़ भवन है लेकिन यहां यह सिस्टम न हो पाने के कारण बारिश के दिनों में छतों में जमा पानी नाली से बह जाता है।
न तो दोहन रोक पाए न ही संचय कर पाए
दर्जन भर से अधिक उद्योग ऐसे हैं जो कि भू-जल का उपयोग कर उद्योग चला रहे हैं। प्रतिदिन भारी मात्रा में भू-जल इन उद्योगों में लिया जा रहा है भू-जल के इस प्रकार दोहन को रोकने के लिए अभी तक कोई प्रयास नहीं किया जा सका है वहीं जब शासन ने भू-जल स्तर बढ़ाने के लिए वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लागू कर दिया तो इसका भी पालन नहीं हो पा रहा है। खास बात यह है कि वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम निर्माण कराने के लिए पहले साल टैक्स में भी छूट दी जाती है। इसके बाद भी लोग उदासीन बने हुए हैं।
कालोनियों में भी इसका पालन नहीं
प्रायवेट कालोनियों के लिए भी अनिवार्य कर दिया गया है, लेकिन गौर किया जाए तो जिले के 90 प्रतिशत से अधिक कालोनियों में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम नहीं है। पिछले साल नगर एवं ग्राम निवेश ने ऐसे 98 कालोनियों को नोटिस जारी किया था। जिसमें कुछ ने समय मांगा तो बाकी का जवाब तक नहीं आया। वर्तमान स्थिति में भी अधिकांश कालोनियों में काम नहीं हो पाया है।