जंगल की जमीन खोदकर बिछाई गई पाइप लाइन
कोटमार स्थित प्लांट से सपनई नाले की दूरी लगभग दो से तीन किलोमीटर है। इसके बीच राजस्व और वन विभाग की काफी जमीन है। लेकिन उद्योग प्रबंधन ने बिना वन विभाग की अनुमति के यहां पाइप लाइन व इलेक्ट्रिक लाइन बिछा दी है, जो कि समझ से परे है।
लोग कर चुके हैं पानी के लिए आंदोलन
जल संसाधन विभाग ने १९९० के पहले भगोरा के सपनई डैम बनाया था। इस डैम से निकली नहर से महापल्ली, सल्हेओना, बनोरा और खैरपाली जैसे गांव में पानी जाता है। कुछ दिन पहले गांव में तालाब सूख जान से ग्रामीणों ने नहर में पानी छोडऩे की मांग की थी, लेकिन जल संसाधन विभाग ने डैम में पानी न होने से पानी छोडऩे से मना कर दिया था, जिससे लोगों ने आंदोलन कर आरोप लगाया था कि लोगों के हक का पानी अवैध तरीके से उद्योगों को दिया जा रहा है, जबकि ग्रामीण निस्तारी के लिए परेशान हैं। इस मामले पर कलेक्टर ने संज्ञान लेकर लोगों की समस्या का समाधान किया था।
उद्योग के अंदर दर्जनों अवैध बोर
लोगों का आरोप है कि उद्योग प्रबंधन ने प्लांट के अंदर दर्जनों की संख्या में बड़े-बड़े बोर करवाए हैं और उनसे भी अवैध रूप से भूगर्भ जल का दोहन कर रहा है। जबकि नियम के मुताबिक व्यवसायिक उपयोग के लिए बोर कराने से पहले जिला प्रशासन की अनुमति लेना जरूरी है।