एनआर द्वारा प्रस्तावित उद्योग के लिए खरीदी गई जमीन में घास मद की जमीन भी हो गई रजिस्ट्री
मिशल में मिलान के बाद हुआ खुलासा
रायगढ़
Published: June 05, 2022 08:35:13 pm
रायगढ़। ग्राम शिवपुरी में एनआर उद्योग से लगे जमीन में उद्योग के विकास का प्रस्ताव तैयार किया गया है जिसके लिए करीब २५० एकड़ जमीन की खरीदी की गई है, लेकिन इसमें दो खसरे नंबर मिशल में घास मद दिखा रहा है इसके बावजूद इस खसरे नंबर की बिक्री नकल जारी हो गई और बकायदा इसकी रजिस्ट्री भी हो गई। इसके अलावा कई खसरा नंबर ऐसा है जिसमें मिशल में दर्ज रकबा बिक्री नकल और रजिस्ट्री के रकबा से मैच नहीं कर रहा है।
वैसे तो जिले में जमीन के खरीद-बिक्री में अजीबो-गरीब मामले देखने को मिलता है, एक ताजा मामला ग्राम शिवपुरी में एनआर उद्योग के विकास के लिए खरीदे गए जमीन में देखने को मिल रहा है। इसमें वैसे तो कई खामियां बताई जा रही है लेकिन जब दस्तावेजों को लेकर सरकारी रिकार्ड से खंगाला गया तो चौकाने वाली बात सामने आई। गांव में घास मद की जमीन को सरकारी जमीन माना जाता है और इसकी खरीद-बिक्री नहीं होती है, लेकिन एनआर उद्योग द्वारा क्रय किए गए जमीन में खसरा नंबर १५ को देखा गया तो इस खसरा नंबर के १.४०० हेक्टेयर जमीन की रजिस्ट्री हुई है जो कि पूर्व में सतपाल सिंधु की ओर से वृतपाल सिंधु ने एनआर आयरन एंड पावर प्रा. लि. के डायरेक्टर नंदकिशोर अग्रवाल को विक्रय किया है मिशल में जब उक्त खसरे नंबर का नकल निकाला गया तो पता चला कि खसरा नंबर १५ में ०.१३ हेक्टेयर भूमि है जो कि घास मद में दर्ज है। इसके अलावा खसरा नंबर ३४/१ में ३.८६९, ३४/१ में ०.३९७, ३४/२ में ०.५२१ और ३४/२ में १५.६६६ हेक्टेयर भूमि सतपाल सिंह और के रूद्रसेन के नाम पर दिखाकर रजिस्ट्री किया गया है जबकि खसरा नंबर ३४ में १.३९ हेक्टेयर जमीन घास मद की मिशल में दर्ज है।
अन्य खसरे का रकबा भी नहीं हो रहा मिलान
एनआर उद्योग द्वारा क्रय किए गए जमीन के रिकार्ड को जब मिशल से मिलान किया गया तो पता चला कि इसमें कई खसरे नंबर में रकबा मिशल से कहीं अधिक है। आखिर उतना जमीन कहां से आया उक्त जमीन पुराने खातेदार के नाम पर कहां से आया इसको लेकर कई सवाल उठ रहे हैं।
राजस्व विभाग की दिख रही संलिप्तता
दोनो खसरा नंबर की जमीन घास मद की जमीन मिशल में दर्ज है, इसके बाद भी यह खसरा नंबर सिंधु फर्म के कई लोगों के नाम पर आ गई और बिक्री नकल जारी कर इसकी बिक्री भी हो गई। इस पूरे मामले में राजस्व विभाग के अधिकारियों की संलिप्तता भी दिख रही है।
वर्सन
हमने तो कंपनी के नाम से जमीन क्रय किया है। अब घास मद की जमीन दूसरे व्यक्ति के नाम पर कैसे आया यह हमे नहीं पता। यह तो प्रशासन के जांच का विषय है।
संजय अग्रवाल, एनआर उद्योग

करीब २५० एकड़ जमीन की खरीदी
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