चाय की चुस्कियों के साथ खत्म हुआ मेयर व आयुक्त का विवाद, चला चर्चा का दौर
- ठेकेदारों के लंबित भुगतान को लेकर महापौर मधु बाई व आयुक्त विनोद पाडेंय में हो गई थी कहा-सुनी

रायगढ़. तीन दिन से चल रहे मेयर व आयुक्त का विवाद गुरुवार को समाप्त हो गया। महापौर आयुक्त के चेंबर में पहुंची और आपसी चर्चा की। वहीं आयुक्त को अपने चेंबर में चाय के लिए आमंत्रित किया। इस आमंत्रण को आयुक्त ने भी सहर्ष स्वीकार किया और चाय की चुस्कियों के साथ गिले-शिकवे दूर हुए। खास बात यह रही कि आयुक्त व मेयर भी पूरे दो दिन बाद कार्यालय पहुंचे थे।
ठेकेदारों के लंबित भुगतान को लेकर महापौर मधु बाई व आयुक्त विनोद पाडेंय में कहा-सुनी हो गई थी। बात इतनी बढ़ गई कि दोनों झल्ला गए थे और स्थिति गंभीर हो गई थी। यह घटना सोमवार शाम की थी। वहीं इसके बाद नगर निगम आयुक्त दूसरे दिन सुबह ही विभागीय मीटिंग में शामिल होने के लिए रायपुर चले गए। वहीं महापौर भी कार्यालय नहीं आई।
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खास बात यह है कि मंगलवार की सुबह नगरीय निकाय कर्मचारी संघ का सम्मेलन भी था। ऐसे में मंगलवार की सुबह ही निगम के अधिकांश कर्मचारी रायपुर चले गए। देर रात जब वहां से लौटे तो आयुक्त व मेयर विवाद को लेकर कर्मचारी संघ की बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में कर्मचारियों ने निगम आयुक्त का पक्ष लिया वहीं महापौर को उनकी हरकत पर माफी मांगने की भी मांग रखी। वहीं ऐसा नहीं किए जाने पर कोई भी कर्मचारी उनकी बातें नहीं मानेंगे, इस बात का निर्णय लिया गया।
ऐसे में यह मामला और भी तूल पकडऩे लगा। कर्मचारी संघ की बैठक के बाद यह अंदाजा लगाया जा रहा था कि विवाद और भी गहराएगा, लेकिन घटना के तीसरे दिन मामले का सुखद पटाक्षेप हुआ। तीसरे दिन आयुक्त रायपुर से लौटे और अपने चेंबर में पहुंचे। आयुक्त के आने की जानकारी महापौर को पहले से ही थी। ऐसे में वे पहले से ही अपने चेंबर में मौजूद थी।
आयुक्त के चेंबर पहुंचने के बाद महापौर एमआईसी सदस्यों के साथ उनकें चेंंबर में पहुंची और आपसी चर्चा की। वहीं इसके साथ ही महापौर ने आयुक्त को अपने चेंबर में चाय के लिए इन्वाइट किया, इसे नगर निगम आयुक्त नहीं टाल सके और महापौर, आयुक्त, एमआईसी सदस्य व अन्य लोग महापौर के चेंबर पहुंचे। जहां चाय की चुस्कियों का दौर चला।
दोनों हुए दो-दो कदम पीछे
निगम आयुक्त चेंबर में चर्चा के दौरान महापौर के विषय में यह बात सामने आई कि विवाद के दौरान महापौर आपा नहीं खोना था। यदि ऐसा होता तो विवाद की संभावना ही नहीं रहती। वहीं आयुक्त के विषय में यह बात सामने आई कि यदि निगम आयुक्त संयम से काम लेते तो भी यह घटना नहीं होती। बहरहाल इस चर्चा के दौरान आयुक्त व मेयर दोनों ने विवाद को भुलाते हुए मामले का सुखद पठाक्षेप किया।
- नगर निगम एक परिवार की तरह है। इसमें काफी सदस्य है। हर घर की तरह इस घर में भी टकराहट की स्थिति बनी थी, लेकिन आपसी चर्चा के साथ टकराहट की स्थिति समाप्त हो गई है। पूरे निगम परिवार का ध्यान अब शहर विकास की तरफ ही है- मधुबाई, महापौर, नगर निगम
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