जिला पंचायत सीईओ चंदन त्रिपाठी ने आठ महीने पहले मामले में एफआईआर दर्ज करने के लिए बरमकेला थाने को पत्र लिखा था, लेकिन बरमकेला पुलिस द्वारा आडिट रिपोर्ट के अभाव में एफआईआर आज तक दर्ज नहीं की गई है। वहीं जिला पंचायत सीईओ का कहना है कि मामले से संबंधित पूरी फाइल गायब है। इस परिस्थिति में आडिट होने संभव नहीं है। पुलिस को फाइल चोरी होने के मामले में एफआईआर दर्ज कर जांच करने के लिए कहा गया है, लेकिन वह मामला क्यों नहीं दर्ज कर रहे हैं समझ से परे है।
VIDEO- रात भर तेंदुपत्ता के बोरे को हाथियों ने फुटबाल की तरह खेला, नुकसान से बचने डीएफओ ने सुबह किया ये काम… गौरतलब है कि बरमकेला जनपद में पदस्थ रहे तात्कालीन एपीओ राजू यादव ने मनरेगा योजना के विभिन्न निर्माण कार्य की सामग्री भुगतान की राशि अलग-अलग पंचायतों को जीतराम चौधरी के खाते से भुगतान किया था। इसकी शिकायत होने पर जब मामले की जांच की गई तो लगभग 36 लाख रुपये के गबन का खुलासा हुआ। इस मामले में जीतराम चौधरी को मुख्य सस्पेक्ट बताया गया और मामले को लेकर छानबीन करने व जीतराम चौधरी से भी पूछताछ करने जिले से एक टीम 22 फरवरी को आने वाली थी, लेकिन एक दिन पहले ही 21 फरवरी की रात जीतराम की हत्या कर दी गई और उसे दुर्घटना का रूप देने का प्रयास किया गया।
आरोपियों ने जीतराम के शव एवं मोटरसाइकल को पास स्थित एक गड्ढे में फेंक कर उसके ऊपर मिट्टी डाल दी थी। पुलिस ने आशंका जताई की जीतराम की हत्या इसी मामले को लेकर हुई है और उसने हत्या का अपराध दर्ज कर मामले में कई आरोपियों को जेल भी भेजा, लेकिन इसके बाद यह मामला ठंडे बस्ते में चला गया है। आज तक न तो यह पता चला कि जीतराम की हत्या किस वजह से हुई और न यह पता चला कि आखिर 36 लाख के मनरेगा घोटाले में और किन लोगों का हाथ है और उन पर क्या कार्रवाई हुई।
उठ रहे कई तरह के सवाल
इस पूरे मामले और उस पर हुई जांच कार्रवाई को लेकर कई सवाल खड़े हो रहे हैं। जहां एक तरफ इस पूरे मामले की फाइल को ही गायब कर दिया गया तो वहीं मामले के अहम राजदार जीतराम चौधरी की हत्या कर दी गई। इस पूरे मामले सबसे बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि भ्रष्टाचार के इस कारनामे में केवल एपीओ के खिलाफ ही जांच की गई, जबकि नियमत: जनपद का कोई भी बिल सीईओ से अनुमोदित हुए बगैर भुगतान नहीं हो सकता है। ऐसे में तत्कालीन जनपद सीईओ की भूमिका की कोई जांच न होना संदेहास्पद है। इतने बड़े फर्जीवाड़े में अकेले एपीओ को ही कैसे दोषी माना जा रहा है।
जिला पंचायत सीईओ ने दिए एफआईआर के आदेश
बरमकेला जनपद पंचायत के तात्कालीन पीओ राजू यादव पर 36 लाख रुपए की गड़बड़ी का आरोप लगने के बाद 26 सितंबर 2018 को जिला पंचायत सीईओ चंदन त्रिपाठी ने बरमकेला जनपद पंचायत सीईओ संदीप पोयाम को मामले में धारा 420 के तहत एफआईआर करवाने का आदेश दिया था। इस निर्देश को दिए सात महीने से अधिक समय बीत गया है, लेकिन एपीओ के खिलाफ बरमकेला थाना में मामला दर्ज नहीं हुआ है।
बरमकेला टीआई यह दे रहे सफाई
बरमकेला थाना प्रभारी आरसी लहरी का कहना है कि मामले में एफआईआर दर्ज करने के लिए आडिट रिपोर्ट मांगी गई थी। जनपद से यह जवाब दिया गया कि संबंधित मामले की फाइल गायब है, इसलिए आडिट नहीं हो सकती है और फाइल चोरी का मामला दर्ज किया जाए। ऐसे में बिना किसी संदेही या आरोपी का नाम दिए बगैर एफआईआर कैसे दर्ज होगी। टीआई ने इसकी जानकारी एसपी को भी दिए जा चुकने की बात कही है।
-एफआईआर के लिए पत्र लिखा गया तो पुलिस ऑडिट रिपोर्ट मांग रही है। जिला पंचायत को आडिट रिपोर्ट देने के लिए लिखा गया है। उसके बाद ही एफआईआर दर्ज करने की बात कही जा रही है- संदीप पोयाम, सीईओ जनपद पंचायत बरमकेला
-मामले से संबंधित फाइल गायब है। ऐसी स्थिति में टीम आडिट नहीं कर पा रही है। हमने पुलिस को फाइल चोरी होने की शिकायत दर्ज कर जांच करने के लिए कहा, लेकिन वह क्यों एफआईआर दर्ज नहीं कर रहे हैं, यह सबझ से परे है। इस संबंध में थाना प्रभारी से भी बात की गई है- चंदन त्रिपाठी, जिला पंचायत सीईओ रायगढ़