रायगढ़ शहर व उसके आसपास लोगों को बंदरों से फिलहाल निजात नहीं मिलेगी। क्योंकि वन विभाग द्वारा तैयार किए गए बंदरों के नसबंदी केंद्र का लोकार्पण तो हो गया है। पर अभी उसकी शुरुआत नहीं की गई है। जिसके पीछे विभाग की आधी-आधूरी तैयारी को बताया जा रहा है।
बाइक चालक के गड्ढे में गिरने से मौत, आक्रोशित लोगों ने शव के साथ एसपी आवास को घेरा मिली जानकारी के अनुसार रायगढ़ शहर व उसके आसपास के क्षेत्रों में करीब ५ हजार बंदरों का आतंक है। यह हम नहीं बल्कि वन विभाग द्वारा कराए गए सर्वे रिपोर्ट के आंकड़े है। जिसमेंं बंदरों की संख्या में ३० प्रतिशत प्रतिवर्ष इजाफा का भी उल्लेख किया गया है। जिसे देखते हुए रायगढ़ वन मंडल ने वन्य जीव जंतु बोर्ड की बैठक में बंदरों के नसबंदी की अनुमति लेने में सफल रही।
शासन की ओर से मिले भारी-भरकम बजट के साथ इंदिरा विहार में बंदरों के नसबंदी के लिए एक विशेष भवन भी तैयार किया गया है। जिसका सीएम के हाथों विकास यात्रा में लोकार्पण भी कराया गया। पर अभी तक नसबंदी केंद्र से जुड़े अत्याधुनिक मशीनों की पूरी खेप रायगढ़ नहीं पहुंची है। जिसके बगैर बंदरों की सोनोग्राफी व अन्य पहल नहींं हो पाएगी।
प्रशिक्षण लेने दोनों टीम जाएगी शिमला
इसके साथ ही बंदरों के नसंबदी के लिए डाक्टर, कंपाउंडर व अन्य कर्मचारी की दो टीम बनाई गई है। जो बंदरों को पकडऩे के साथ ही उनका नसबंदी करेंगे। पर इससे पहले उन्हें एक सप्ताह की विशेष ट्रेनिंग की आवश्यकता है। उक्त ट्रेनिंग हिमाचल प्रदेश के शिमला में होनी है। जिसके लिए रायगढ़ की दोनों टीमों को शिमला भेजने की तैयारी है। उनके टे्रेनिंग कर के लौटने व अत्याधुनिक मशीनों की खेप रायगढ़ आने के बाद ही बंदरों के नसबंदी की बात कही जा रही है।
राज्य सरकार से लेनी पड़ती है अनुमति
बंदरों के नसबंदी के लिए डाक्टरों की दो टीम को शिमला भेजने में राज्य सरकार की अनुमति का पेंच भी फंस गया है। विभागीय अधिकारी ने बताया कि जब राज्य से बाहर किसी अधिकारी व कर्मचारी को ट्रेनिंग के लिए भेजा जाता है। तब उसके लिए राज्य सरकार से अनुमति लेनी पड़ती है। डाक्टरों को प्रशिक्षण के लिए शिमला भेजने को लेकर राज्य सरकार से पत्राचार किया गया है। अनुमति मिलने के बाद उन्हें ट्रेनिंग के लिए भेजा जाएगा।
बंदरों के नसबंदी केंद्र में सोनोग्राफी मशीन का आना अभी बाकी है। वहीं डाक्टरों की दो टीम को ट्रेनिंग के लिए शिमला भेजने की पहल की जा रही है। राज्य शासन की ओर से अनुमति मिलते ही टीम को ट्रेनिंग के लिए भेजा जाएगा। उसके बाद बंदरों की धर पकड़ कर नसंबंदी की जाएगी- एनआर खंूटे, एसडीओ, रागयढ़ वन मंडल