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दुनियाभर में हो रही पानी के लिए मारामारी वहीं छत्तीसगढ़ के इस गांव में हर परिवार का है अपना तालाब

locationरायगढ़Published: Jun 02, 2019 10:36:42 am

Submitted by:

Akanksha Agrawal

धरमजयगढ़ विकास खंड से कुछ दूर पर बसे सागरपुर गांव जहां हर परिवार के पास निजी तालाब (Pond) है। इस तालाब से यहां के लोग जल संरक्षण (Water conservation) का संदेश दे रहे हैं।

Pond in Chhattisgarh

दुनियाभर में हो रही पानी के लिए मारामाारी वहीं छत्तीसगढ़ के इस गांव में हर परिवार का है अपना तालाब

चूड़ामणि साहू@रायगढ़. जल संरक्षण (Water conservation) के लिए शासन कई प्रकार से योजना चला रही है, लेकिन इस योजना को आज भी अधिकांश लोग नजरअंदाज करते हैं। इसके विपरीत धरमजयगढ़ विकास खंड से कुछ दूर पर बसे सागरपुर गांव जहां हर परिवार के पास निजी तालाब (Pond) है। इस तालाब से यहां के लोग जल संरक्षण (Water conservation) का संदेश दे रहे हैं। प्रत्येक परिवार के पास तालाब होने का फायदा यह है कि गांव का जल स्तर कभी कम नहीं होता।
जिले के शहरी क्षेत्र की बात करें तो जिला मुख्यालय रायगढ़ में परिसीमन के तहत 22 तालाब हुआ करते थे, लेकिन तालाबों को पाटते हुए कहीं मकान बना लिया गया तो कहीं कार्यालय बना लिया गया। इसके विपरीत करीब सात सौ की आबादी वाला गांव सागरपुर जल संरक्षण (Water conservation) की दिशा में अहम भूमिका निभा रहा है। इस गांव के लोग पूरी तरह से कृषि कार्य पर ही निर्भर हैं। गांव के लोग कृषि कार्य करने के साथ तालाब को प्राथमिकता देते हैं।
Pond in Chhattisgarh
किसी के पास छोटा तालाब है तो किसी के पास बड़ा तालाब है। कुछ ऐसे भी परिवार हैं, जिनके पास एक से ज्यादा तालाब है। इन तालाब (Pond) में गांव के लोग मछली पालन करते हैं। गांव मेंं ऐसी परंपरा विकसित हो गई तालाब रखना अपनी शान समझते हैं। बताया जा रहा है कि कुछ वर्ष पहले गांव में तालाब (Pond) की संख्या कम थी, इसमें कुछ परिवारों के पास ही तालाब था, लेकिन धीरे-धीरे अब अधिकांश परिवारों के पास तालाब हो गया है। जिन परिवारों के पास तालाब (pond) नहीं था, वे अपने कृषि भूमि के कुछ हिस्से को तालाब के रूप में विकसित कर इनमें मछली पालन कर रहे हैं।
भू-जल स्तर नहीं होता कम, दो बार लेते हैं फसल : गांव में अधिकांश परिवार के पास तालाब होने पर गांव और इसके आसपास का वाटर लेबल भी कम नहीं होता। इसका लाभ गांव के लोगों को खेती में मिलता है। इस गांव में रहने वाले परिवार खेत में दो फसल तो लेते ही है। वहीं कभी भी तीन फसल भी ले लेते हैं। गांव के लोग धान की सफल के बजाए सब्जी व मक्का की खेती करना ज्यादा पसंद करते हैं।
ग्रामीण बाबी मंडल ने कहा कि गांव का प्रत्येक परिवार अपना स्वयं का तालाब रखना चाहता है। इन तालाबों (Pond) में मछली पालन किया जाता है। कभी-कभी इसमें निस्तारी के उपयोग में भी लाया जाता है। प्रत्येक परिवारों के पास बोर पंप भी है।
Pond in Chhattisgarh

गांव में पहुंचते ही महसूस होता है कूल-कूल
सागरपुर गांव धरमजयगढ़ विकासखंड में आता है और यह गांव हाथी प्रभावित भी है। इसके बाद भी गांव के लोग पूरी मुस्तैदी से फसल की रखवाली करते है। वहीं गांव में भूजल स्तर नीचे नहीं होने के साथ बारह माह खेत फसल से लहलहा रहे होते हैं। इससे गांव पहुंचने के साथ ही ठंडक का एहसास होने लगता है।

एसडीएम धरमजयगढ़ नंद कुमार चौबे ने बताया कि ग्रामीणों के द्वारा किया गया यह प्रयास काफी सराहनीय है। इसे क्षेत्र का जलस्तर भी नहीं घटेगा। अन्य गांव के लोगों को भी इस तरह जागरूक होकर जल संरक्षण की दिशा में प्रयास करना चाहिए।
ग्रामीण सूरज विश्वाल ने बताया कि गांव में अधिकांश परिवारों के पास तालाब है, इससे जल संरक्षण तो हो रहा है, वहीं गांव में कभी भी जल स्तर घटने की समस्या नहीं आती। इससे खेती का कार्य भी आसानी से होता है।
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