मंगलवार की सुबह एक बार फिर से टीम नाबालिग के घर पहुंची, जहां टीम को नाबालिग के माता-पिता मिले। इसके बाद मौके पर मुस्लिम समुदाय के अध्यक्ष, महिला-पुरूष व नगर पंचायत उपाध्यक्ष भी पहुंच गए और सभी मिलकर नाबालिग के माता-पिता को समझाइश दिए। नाबालिग के माता-पिता ने टीम को बताया कि 24 जुलाई को नाबालिग की सगाई बेमेतरा के एक मुस्लिम युवक के साथ होने वाली थी, लेकिन अब हम नाबालिग के 18 साल पूर्ण होने के बाद ही उसकी सगाई और निकाह करेंगे। जब टीम पूरी तरह से संतुष्ट हो गई कि नाबालिग के परिजन मान गए तो टीम वापस लौट गई।
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इस संबंध में जिला बाल संरक्षण अधिकारी दीपक डनसेना का कहना है कि भले ही नाबालिग के परिजन मान गए हों, लेकिन महिला बाल विकास विभाग, बाल संरक्षण इकाई व चाइल्ड लाइन का काम ही है, ऐसे अपराधों को रोकना। इसलिए धरमजयगढ़ की टीम द्वारा लगातार नजर रखी जा रही है।
कई मामले आ चुके हैं सामने
ज्ञात हो कि कई बार चाइल्ड लाइन, महिला बाल विकास विभाग, जिला बाल सरंक्षण इकाई द्वारा मौके पर पहुंच कर बाल विवाह रुकवा दिया जाता है। वहीं वर-वधु के परिजनों को बाल विवाह (Child Marriage) अधिनियम की जानकारी देकर उन्हें अपराध और सजा के बारे में बताया जाता है, लेकिन टीम के लौटने के कुछ दिन बाद कुछ लोगों द्वारा कानून का उल्लंघन करते हुए बाल विवाह करा दिया जाता है।
युवक का रास्ता रोककर मारपीट, हाथ-पांव तोड़ा, आठ हजार रुपए भी लूटा – धरमजयगढ़ के वार्ड क्रमांक-6 मुस्लिम मोहल्ला में बाल विवाह की सूचना मिली थी। इसके बाद टीम मौके पर गई तो पता चला कि यहां कोई शादी नहीं हो रही है। 24 जुलाई को यहां की एक नाबालिग लड़की की सगाई (Child Marriage) होने वाली है। इसके बाद टीम ने नाबालिग के परिजनों को समझाइश दी तो वे मान गए हैं। हालांकि टीम द्वारा उन पर नजर रखी जा रही है- ऐंजला कुजूर, परियोजना अधिकारी, महिला बाल विकास विभाग