इस मामले में जांच में सामने आए तथ्य को देखने के बाद सरपंच ने जहां दस्तखत किए जाने की बात से इंकार कर दिया था वहीं इस मामले को लेकर भाजपा और कांग्रेस आमने-सामने हो गए थे। इसके बाद सचिव ने शपथ पत्र देकर इस बात को स्वीकार किया है कि सरपंच का फर्जी दस्तखत उसके द्वारा किया गया है। पहली बार ऐसा देखने को मिल रहा है कि किसी मामले की शिकायत में जांच के बाद जब गड़बड़ी सामने आई तो सचिव खुद सामने आकर स्वीकार कर रहा है कि सरपंच के दस्तखत फर्जी है नहीं तो अधिकांश मामले में तो गड़बड़ी सामने आने के सचिव नोटिस तक का जवाब देने से कतराते हैं। हांलाकि इस मामले में जिला पंचायत अब सचिव के जवाब का इंतजार कर रही है।
इसके पीछे क्या है कारण
जब सरपंच को इस बात की जानकारी मिली कि सचिव के द्वारा उसका फर्जी दस्तखत किया गया है तो उसने न तो सचिव के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराया न ही जिला पंचायत में इसकी शिकायत की। सिर्फ यह सफाई देता रहा कि दस्तखत उसका नहीं है। कुल मिलाकर देखा जाए तो इस मामले में अभी तक सरपंच व सचिव एक दूसरे को बचाने के प्रयास में जुटे हुए नजर आ रहे हैं।
क्या मिला था जांच में
डोंगीतराई में जांच टीम ने 150 हितग्राहियों का बयान लेकर उनके आवास का सत्यापन किया तो पता चला कि 120 हितग्राहियों का कच्चा मकान है वहीं 30 हितग्राहियों का पक्का मकान है। जबकि हल्दीझरिया में भी उक्त टीम ने १०१ हितग्राहियों के आवासों का सत्यापन किया है जिसमें । बताया जा रहा है कि यहां भी 80 फिसदी से अधिक हितग्राहियों के आवास कच्चे पाए गए हैं।
टूट गया लोगों का भरोसा
उक्त ग्राम पंचायत के सरपंच घनश्याम पटेल के उपर गांव के लोगों ने आंख बंद कर भरोसा किया था जिसके कारण चुनाव में उसे निर्विरोध चुना गया था, लेकिन इस योजना से गरीब वर्ग के लोगों को वंचित करने के इस प्रयास से लोगों का भरोसा टूटा है, और इससे बचने कई तरह के खेल शुरू हो गए हैं।