अंचल के देवी मंदिरों में जले आस्था के दीप
पहले दिन माता शैलपुत्री की हुई अराधना
सुबह से ही माता के दरबार में पहुंचने लगे थे भक्त
शाम के समय आरती में जूटे थे दर्जनों भक्त
रायगढ़
Published: April 02, 2022 08:17:43 pm
रायगढ़। शनिवार से शक्ति की भक्ति की आराधना का पर्व शुरू हो गया है। इससे अंचल के देवी मंदिरों में सुबह से भी भक्त पहुंचने लगे थे। पहले ही दिन सुबह से दोपहर तक देवी मंदिरों में अच्छा-खासी भीड़ देखी गई। वहीं शाम को सभी मंदिरों में आस्ता का दीप जलाया गया। उसके बाद बाजे-गाजे के साथ बुढी माई मंदिर में माता की आरती गई गई। दर्जनों भक्त मौजूद रहे और पूजा-पाठ करने के बाद अपनी मनोकामना पूरी करने माता से गुहार लगाए। साथ ही ज्यादातर लोगों ने अपने घरो में भी माता का चौकी रखकर पूजा-पाठ शुरू किया है।
शनिवार से चैत्र नवरात्र शुरू हो गया है, जिससे सुबह से ही शहर सहित अंचल में भक्ती का माहौल देखने को मिला है। इस दौरान शहर के प्रसिद्ध बुढी माई मंदिर, सम्लेश्वरी मंदिर, राजापारा स्थित दुर्गा मंदिर, अनाथालय स्थित दुर्गा मंदिर, केवड़ाबाड़ी बस स्टैंड स्थित दुर्गा मंदिर सहित अंचल के सभी देवी मंदिरों में सुबह से ही भक्त पहुंचने लगे थे, इस दौरान भक्तों ने माता के जयकारे व पूरे जोश के साथ माता की पूजा-पाठ किया गया। साथ ही शाम होते ही फिर से भक्त पहुुंचने लगे थे, वहीं सभी मंदिरों में मनोकामना ज्योत भी जलाई गई। जानकारों की माने तो साल में चार नवरात्र आता हैं, लेकिन दो गुप्त नवरात्र होता है, वहीं चैत नवरात्र व शारदीय नवरात्र के नौ दिनों में माता के नौ अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है। जिसको लेकर लोगों में काफी उत्सुकता रहता है, वहीं शनिवार को नवरात्र के पहले दिन माता शैलपुत्री की पूजा की गई।
माता शैलपुत्री की विशेषता
इस संबंध में पंडितों के अनुसार चैत्र नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि पर मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। मार्कण्डेय पुराण के अनुसार देवी का यह नाम हिमालय के यहां जन्म होने से पड़ा। हिमालय हमारी शक्ति, दृटता, आधार व स्थिरता का प्रतीक है। मां शैलपुत्री को अखंड सौभाग्य का प्रतीक भी माना जाता है। नवरात्रि के प्रथम दिन योगीजन अपनी शक्ति मूलाधार में स्थित करते हैं व योग साधना भी करते हैं। ऐसे में लोगों के जीवन प्रबंधन में दृटता, स्थिरता व आधार का महत्व सर्वप्रथम है। इसलिए इस दिन हमें अपने स्थायित्व व शक्तिमान होने के लिए माता शैलपुत्री की आराधना करते हैं। शैलपुत्री की आराधना करने से जीवन में स्थिरता आती है। हिमालय की पुत्री होने से यह देवी प्रकृति स्वरूपा भी हैं। स्त्रियों के लिए उनकी पूजा करना ही श्रेष्ठ और मंगलकारी माता जाता है।
तेल का रेट बढऩे से पड़ा असर
गौरतलब हो कि दिनों-दिन बढ़ रहे महंगाई के चलते इसका असर अब पूजा-पाठ पर भी देखने को मिल रहा है। वहीं जहां पहले मंदिरों में बड़ी संख्या में ज्योति जलती थी वहीं अब इसकी संख्या बहुत कम हो गई है। क्योंकि तेल का रेट बढ़ जाने से ज्योति का खर्च अधिक आ रहा है। वहीं पुजारियों की मानें तो पहले तीन ज्योति २५० से ३०० रुपए में हो जाता था वहीं अब इसकी कीमत करीब ७५१ रुपए हो गया है। जिससे बहुत कम लोग ही ज्योति जलवा रहे हैं।
सैकड़ों जले आस्था के दीप
नवरात्र के दिनों में भक्त अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए अलग-अलग देवी मंदिरों में आस्था के दीप जलाए, इस दौरान चंद्रपुर स्थित चंद्रहासिनी माता मंदिर में भी ज्योति जलाई गई है, लेकिन बताया जा रहा है कि इस बार अन्य सालों की अपेक्षा बहुत कम मनोकामना ज्योति जलाई गई है। वहीं शहर के सबसे बड़े बुढी माई मंदिर में इस बार १८०० मनोकामना ज्योति जलाई गई है। साथ ही भगवानपुर स्थित पूज्य माता अधोर शक्ति पीठ मंदिर में १२५ मनोकामना ज्योति जलाई गई है। इसके साथ ही शहर के अलग-अलग मंदिरों में भी ज्योति प्रज्वलित हुआ है।

अंचल के देवी मंदिरों में जले आस्था के दीप
पत्रिका डेली न्यूज़लेटर
अपने इनबॉक्स में दिन की सबसे महत्वपूर्ण समाचार / पोस्ट प्राप्त करें
अगली खबर
